बुंदेलखंड लिट्रेचर फेस्टिवल का समापन, जुटे कला, साहित्य, संस्कृति जगत के दिग्गज
झांसी। एआई को स्वीकारना बहुत जरूरी है। इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। इसे बेहतर ढंग से इस्तेमाल करना जरूरी है। पत्रकारिता के मायने बदल रही है। इसकी बहुत चुनौतियां हैं। आज खबर ब्रेक करना पुरानी बात हो गयी है। आज ब्रेक खबर के पीछे की जानकारी खोजना बड़ा काम हो गया है। हालांकि युवा पीढ़ी इस काम को बहुत तेजी से करने में सक्षम है। उन्हें तकनीक की समझ पुरानी पीढ़ी से कहीं ज्यादा है। ऐसे में उनके लिए बहुत अधिक अवसर हैं। हालांकि सभी उम्र के पत्रकारों को नई तकनीक सीखते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त युवाओं को हमेशा पढ़ते रहना चाहिए। चाहे किताबों हों, अखबार हों या अन्य पत्र-पत्रिकाएं। ये बातें वरिष्ठ पत्रकार सईद अंसारी ने कहीं। वे बुंदेलखंड साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन विचार व्यक्त कर रहे थे।
इस दौरान उनके साथ मंच पर बुंदेलखंड विवि के कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय भी मौजूद रहे। इस दौरान शिक्षा एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में दिखती हुईं चुनौतियां विषय पर दोनों से प्रो. अनुपम व्यास, डॉ. बृजेश दीक्षित और इंजीनियर गुंजन पांडे ने बातचीत की। इस दौरान प्रो. मुकेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से शिक्षा में भारतीयता का समावेश हुआ है और मातृभाषा को महत्व दिया गया है। साथ ही इसमें स्किल को महत्व दिया गया है। निश्चित ही इससे विकसित भारत के विजन को बल मिलेगा। कुलपति ने छात्रों के परिवारों को संस्कारित बनाए रखने के लिए मार्गदर्शन करने पर जोर दिया।
तीन दिवसीय बुंदेलखंड साहित्य महोत्सव (बीएलएफ) का रविवार को झांसी किले की तलहटी स्थित शहीद बिपिन रावत पार्क में समापन हुआ। अंतिम दिन विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने डिजिटल सुरक्षा, भारतीय ज्ञान परंपरा, मीडिया की विश्वसनीयता, बुंदेलखंड की धरोहर आदि पर चर्चा की।
पहले सत्र में भारत और भारतीय ज्ञान परंपरा पर प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी ने बातचीत की। संचालन डाॅ. विपुल सुनील ने किया। प्रो. रंजन ने गुरु-शिष्य परंपरा पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय संस्कृति को समझने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उदाहरण दिया। जहां भारतीयता के महत्व पर जोर दिया गया है। साथ ही स्किल के महत्व पर भी जोर है। इस प्रकार भारतीय ज्ञान परंपरा प्राचीनता और नवीनता का उत्कृष्टत संगम है।
लोग सुनेंगे नहीं तो फूहड़ गीत बनना बंद हो जाएंगे:पकंज पंडित
दूसरे सत्र का विषय बुंदेली की बुलंद आवाज रहा। इसमें युवा लेखक अनमोल दुबे ने बुंदेली गायिका कविता शर्मा और कवि पंकज पंडित से बातचीत की। कविता शर्मा ने सांस्कृतिक धरोहरों, बुंदेली के अछूते गीतों को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने अपना चर्चित लोकगीत ‘आगड़ दम बागड़ दम’ सुनाया। वहीं, पंकज ने अपनी चर्चित रचना ‘सौ-सौ बार नमन बुंदेलखंड के पानी को’ सुनाई। लोकगीतों में फूहड़ता की बात पर उन्होंने कहा कि लोग इन्हें सुनना बंद कर देंगे तो ये बनना बंद हो जाएंगे। इस दौरान तीनों से इलाहाबाद विवि के प्रो. शैलेंद्र सिंह ने तीनों स बुंदेलखंडी बाल साहित्य को आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया।
जिसमें सबके हित का भाव हो वही साहित्य है
तीसरे सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा और हिंदी साहित्य विषय पर अध्यापक डॉ. विपुल सुनील, लेखक-अध्यापक डॉ. वेदवत्स और लेखिका वंदना यादव से साहित्य अध्येता वंदना यादव ने बातचीत की। इस दौराध डॉ. वेदवत्स ने कहा कि जो सबके हित का भाव रखे, वही साहित्य है। हमारा साहित्य भारत केंद्रित होना चाहिए। उसे पढ़कर राष्ट्र की रक्षा का भाव आना चाहिए। डॉ. विपुल सुनील ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया गया है। मातृभाषा में सीखने की क्षमता 60% तक बढ़ जाती है। डॉ. वंदना यादव ने कहा कि वेद, उपनिषद आदि विश्व में सबसे प्राचीन हैं। खगोलशास्त्र, शल्य चिकित्सा हमारी ही देन है। वर्तमान में भी प्राचीन संस्कृति के तमाम पात्रों पर साहित्य लिखा जा रहा है।
बच्चे मोबाइल पर हो रहे साइबर अपराध के शिकार: रक्षित टंडन
चौथे सत्र में भय मुक्त ‘डिजिटल इंडिया’ विषय पर पत्रकार ऋतु भारद्वाज ने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रक्षित टंडन से चर्चा की। टंडन ने कहा कि डिजिटल डाइट बच्चों की मेंटल हेल्थ और चरित्र पर प्रभाव डाल रहे हैं। बच्चों को मोबाइल देते हैं तो वह सिर्फ गेम नहीं खेलते हैं वह कई बार साइबर अपराध भी करने का कारण बन जाते हैं। साइबर ठग हर 1 मिनट में 3 अपराध घटित हो रहे हैं इसलिए हमें साइबर हाइजीन की जरूरत है। कोई भी एपीके डाउनलोड न करें इससे आपके मोबाइल में चोर घुस जाएगा। जीरो ट्रस्ट पर काम करें वरना आपके मोबाइल से यूपीआई, बैंक, पैन कार्ड, आधार आदि चोरी कर लेंगे। बच्चे गलत कॉन्टेंट न देखें इसका ध्यान परिजनों को रखना होगा। एआई से कोई भी एडिटेड वीडियो, फोटो और ऑडियो बना सकते हैं इसलिए डिजिटल अरेस्ट के नाम पर नहीं डरें।
काम से प्यार हो तो कठिनाइयां दूर हो ही जाती हैं-अनुष्का कौशिक
छठवें सत्र में ‘अनुष्का कौशिक:बिहाइंड द कैमरा’ में अभिनेत्री अनुष्का कौशिक से आरजे शहनवाज ने बातचीत की। अनुष्का ने बताया कि जब से होश संभाला तब से एक्टर ही बनना था, और अभी तक अभिनेत्री बनने की ही कोशिश कर रही हूं। शुरू में जब घरवालों से बताया तो उन्हें पड़ोसी क्या कहेंगे ऐसी चिंता हुई। लेकिन, मैंने कहा कि कुछ ऐसा नहीं करुंगी कि आपका सिर झुके और आज सबका समर्थन मिलता है। हालांकि इस इंडस्ट्री में आगे बढ़ना आसान नहीं है। सिर्फ चेहरे की खूबसूरती काम नहीं आती, एक ही समय में पांच अलग-अलग किरदार कर सकने की योग्यता काम आती है। इसके अलावा अगर आप अपने काम से प्यार करते हैं तो कठिनाइयां धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं।
बुक स्टॉल पर दिखा साहित्य का संगम
परिसर में लगे बुक स्टॉल पर ढेरों किताबें थीं। इसमें धर्म, समाज, अध्यात्म, राजनीति, प्रथा से लेकर विभिन्न भाषाओं और वर्गों के लिए उपलब्ध हैं। प्रेमचन्द की संकलित कहानियों से लेकर हिमालय में विवेकानन्द, योगी कथामृत, गांधी से लेकर आंबेडकर, ए पी जे अब्दुल कलाम, बुन्देलखण्ड की लोक, संस्कृति और साहित्य, मोहब्बत, देशभक्ति, डरावनी कहानियां, बच्चों के लिए कॉमिक्स, जॉन एलिया आदि से संबंधित ढेरों किताबें थीं। जहां खरीददारों की दिनभर भीड़ लगी रही।
प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मनमोह
कार्यक्रम परिसर में अथाई मंच के युवाओं ने कविता, गायन और नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मनमोह लिया। लोग प्रस्तुति को देखकर और गायन व कविताओं को सुनकर खुद को ताली बजाने से रोक नहीं पाए। मंच के सामने जगह-जगह सुंदर पेंटिंग लगी थी जो काफी आकर्षक लग रही थीं।











