झांसी। मेंहदी बाग स्थित श्री रामजानकी मंदिर मानस भवन में चल रही श्रीमद भागवत के तृतीय दिवस का प्रसंग सुनाते हुए श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास हरिवंश दास ने तृतीय दिवस ध्रुव चरित्र,जड भरत कथा एवं प्रहलाद चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान तो भाव के भूखे होते हैं। भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के मेवा त्यागे शाग विदुर घर खाई, सबसे ऊंची प्रेम सगाई,{हरि का भजन करो हरि है हमारा} यह सुंदर भजन सुनाया, जिसे सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। उन्होंने कहा कि सदगुरु की कृपा के चलते हमें बैकुण्ठ की प्राप्ति हो जाती है पर मन की चंचलता के कारण हमारा मन सत्संग में नहीं लगता है।

नवधा भक्ति का विस्तार से वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि कि भगवा वस्त्र पहन लेने से हर कोई संत नही बन जाता है। संत तो वह है जो सत्य का आचरण करे, हृदय में करुणा और सभी में भगवान के दर्शन करे तथा मन निर्मल हो, यही संत के गुण हैं। मानव तन को दुर्लभ बताते हुए वे कहते हैं मानस में गोस्वामी जी लिखते हैं “बडे भाग्य मानुष तन पावा,सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा”। अर्थात मानव तन मिला है तो हर पल हरि स्मरण करते रहें तभी कल्याण होगा। प्रथम स्कंद मै तीन माताओं के चरित्र है उतरा कुंती,द्रोपदी के अदभुत चरित्र है कुंती ने भगवान से वरदान मै सिर्फ दुख मांगे क्योंकि दुख रहेगा तो आपका स्मरण रहेगा सुख मै तो हम भगवान को भी भूल जाते है

प्रारंभ में ललितपुर से पधारे शिवमोहन रिछारिया,धर्मेंद्र व्यास मुदगिल जी, सर्वेश पटेल अनिल अडजरिया, राजकुमार गोस्वामी, दया ने व्यास पीठ का पूजा किया एवं कथा व्यास का माल्यार्पण कर श्रीमद भागवत पुराण की आरती उतारी। अंत में अंचल अडजरिया ने आभार व्यक्त किया।