झांसी। सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के वायदे किस प्रकार खोखले हैं इसका प्रमाण एक अधिवक्ता द्वारा विरासतन शस्त्र लाईसेंस स्थानांतरित हेतु किये गये आवेदन के मामले में सामने आया है। अधिवक्ता डॉ0 प्रतीक चौरसिया ने बताया कि उनके पिता अपर निदेशक अभियोजन के पद से सेवा निवृत्ति उपरांत झांसी में ही विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर रहे। जिनकी आयु करीब 70 वर्ष होने के कारण उनके नाम शस्त्र लाईसेंस विरासतन ट्रांसफर हेतु माह अक्टूबर 2018 में डीएम कार्यालय में आवेदन किया था। इस आवेदन पर थाना सीपरी बाजार व तहसील के कई चक्कर काटने के बाद भी आख्या नहीं भेजी गयी। जिस पर उन्होने आरटीआई के तहत एसएसपी कार्यालय से जानकारी चाही तो पता चला कि प्रभारी निरीक्षक सीपरी बाजार द्वारा प्रेषित आख्या अभी तक डीएम कार्यालय नहीं पहुंची है। इसी प्रकार जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत तहसील से भी जानकारी मांगे जाने पर पता चला कि आवेदन कानूनगो की आख्या हेतु लम्बित है।
अधिवक्ता का आरोप है कि सुविधा शुल्क न दिये जाने के कारण नौ माह बाद भी आख्या प्रेषित न कर मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की नीति का मजाक उड़ाया जा रहा है। जब एक पूर्व न्यायिक अधिकारी व अधिवक्ता के मामले में यह स्थिति है तो आम जन मानस के साथ क्या होता होगा यह बखूबी समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि करीब एक सप्ताह पूर्व इस सम्बंध में जिलाधिकारी को दिये प्रार्थना पत्र पर भी आज तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गयी है। जबकि कुछ दिन पूर्व ही सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा किसी भी पत्रावली को तीन दिन से अधिक समय तक बिना कारण न रोके जाने के निर्देश जारी किये गये है। अब देखना यह है कि आखिर कब तक उक्त प्रकरण में कार्यवाही अमल में लाई जाती है।