झांसी। इण्डियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन के वर्चुअल मीटिंग में मोदी सरकार द्वारा रेलवे बोर्ड को भंग कर कम्पनी बनाने के निर्णय पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कटु निन्दा की गयी।

फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड मनोज पाण्डेय की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल मीटिंग के उपरान्त संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड मनोज पाण्डेय एवं राष्ट्रीय महामंत्री कामरेड सर्वजीत सिंह ने कहा कि मोदी सरकार कोरोना संकट से कोई सीख लेने के बजाय उसे सुनहरा अवसर मान अंधाधुन साम्राज्यवादी नीतियों पर चलते हुए भारतीय रेलवे समेत देश के सभी सरकारी विभागों व संस्थानों का निजीकरण कर बड़े-बड़े देशी विदेशी कॉर्पोरेशन के हवाले करने की एलानिया एजेण्डे पर तेजी से काम कर रही है जिसके चलते मोदी सरकार ने रेलवे बोर्ड को तोड़ कर कम्पनी बनाते हुए न सिर्फ रेलवे अधिकारियों के पदों के साथ छेड़छाड़ कर दी है बल्कि बाहर से अधिकारी लगाने को भी हरि झंडी दे दी है। यह सीधे-सीधे दुनिया भर की कॉर्पोरेशनों की रेलवे में एंट्री करवाने के मकसद से किया जा रहा है ।

रेलवे के दोनों राष्ट्रीय नेताओं ने कहा कि रेलवे की मान्यताप्राप्त संगठन के महामंत्री द्वारा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को सी.ई.ओ. बनाने पर माला पहनाकर स्वागत करना दुर्भाग्यपूर्ण है रेलवे में निजीकरण एवं कर्मचारियों के शोषण के लिए भारत सरकार के साथ-साथ मान्यताप्राप्त दोनों संगठन भी दोषी है जिसे रेल का एक-एक कर्मचारी जान चुका है ।भारतीय रेल देश का एक विशेष उपक्रम है जिसके ढांचें अपनी विशेष जरूरते व विशेषताएं है जिसको तोड़ा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है जिसे किसी भी हाल से सहन नही किया जाएगा । उन्होंने कहा कि इण्डियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन इस ताना शाही फैसले का पुरजोर विरोध करती है और रेलवे कर्मचारियों तथा देश के लोगों से आवाहन करती है कि मोदी सरकार के तानाशाही व घातक फैसले का पुरजोर विरोध किया जाय ।