बुंदेलखण्ड पर आनलाईन व्याख्यान माला आयोजित
झांसी। बुंदेलखण्ड व्याख्यान माला के अंतर्गत प्राचीन बुंदेलखण्ड में भागवत धर्म विषय पर इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त ने मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया। डा चित्रगुप्त ने बताया कि बुंदेलखण्ड में अनेक स्थान और साक्ष्य आज भी मौजूद है जो प्राचीन बुंदेलखण्ड में भागवत धर्म के प्रसार के प्रमाण हैं। झांसी जिले के ऐरच में ही भगववान विष्णु से संबंधित वाराह और नरसिंह अवतार का आख्यान प्राप्त होता है। असुर राजा हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु का वध भी भगवान ने अवतार लेकर किया था। ये दोनों असुर भी कथानकों के अनुसार बुंदेलखण्ड के झांसी जिला स्थित ऐरच राज्य के थे।महाभारत कालीन राज शिशुपाल भी बुंदेलखण्ड के चेदी राज्य का राजा था जिसकी राजधानी चंदेरी था। जो भगवान कृष्ण की बुआ का पुत्र था। जो संभवतः भगवान अवश्य ही अपनी बुआ के पास चंदेरी आया करते होंगे। इसके अलावा ललितपुर के रणछोङधाम क्षेत्र में मुचुकुंद गुफा में भगवान श्रीकृष्ण ने कालयवन को संहार किया। यह भी अनेक आख्यानों में उल्लिखित है। वहीं महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास की जन्मस्थली भी कालपी क्षेत्र में मानी जाती है। डा चित्रगुप्त ने बताया कि बुंदेलखण्ड में पुरातात्विक दृष्टि से ऐरच, दशावतार मंदिर-देवगढ़, रणछोङधाम मंदिर, मुचुकुंद गुफा, दुधई जिला ललितपुर स्थित भगवान नरसिंह की विशाल प्रतिमा, आदिवराह की मूर्ति और सागर जिले के ऐरण स्थित अनेक पुरातात्त्विक साक्ष्य यहां प्राचीन काल में भागवत धर्म के प्रसार के महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। व्याख्यानमाला में बुंदेली वीर मंच के संयोजक डाॅ अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। आनलाईन गोष्ठी के आयोजन में संतोष गुप्ता, रामेश्वर गिरि, शरद खरे एड, मृदुल पटेल, पंकज खरे का सहयोग रहा।











