सोर्स की जगह पूरी मशीन उड़ा ले गई कंपनी, कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर सवाल

झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग से करोड़ों रुपए कीमत की कोबाल्ट मशीन गायब होने के लंबे समय बाद जागे कॉलेज प्रशासन ने आखिरकार शनिवार को टीम बेस्ट थियोट्रानिक्स कंपनी पर मुकदमा दर्ज करा दिया है, किंतु कालेज प्रशासन की लापरवाही या सोची समझी साज़िश पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

मेडिकल कॉलेज में कैंसर रोगियों के इलाज में मददगार कोबाल्ट मशीन पिछले काफी समय से काम नहीं कर रही थी। इस मामले को बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के भानु सहाय के नेतृत्व में जिला प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के सामने उठाया और आंंदोलन की चेतावनी दी गई तब मामले की पड़ताल शुरू हुई तो पता चला कि करोड़ों रुपये की कोबाल्ट मशीन विभाग से गायब हो चुकी है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को जानकारी नहीं है। जांच में सामने आया कि मशीन में कोबाल्ट सोर्स की उम्र पूरी होने पर उसे डिस्पोज किया जाना था, लेकिन संबंधित चेन्नई की कम्पनी सोर्स की जगह पूरी मशीन ही लेकर चली गई और इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन से कोई अनुुमति नहीं ली। इधर, इस पूरे घटनाक्रम ने महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं क्यो कि करोड़ों रुपये का उपकरण गायब होने के बावजूद कॉलेज प्रशासन चुप्पी साधे रहा। जब बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की और जिला प्रशासन ने जांच कमेटी का गठन किया तो सामने आया कि यह मशीन बिना कॉलेज प्रशासन की अनुमति के कम्पनी लेकर चली गई है।

इस मामले में मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य साधना कौशिक की ओर सेे दी गई एक तहरीर पर थाना नबावाद में टीम बेस्ट थियोट्रानिक्स कंपनी पर धारा 406 के तहत केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है। तहरीर में प्राचार्य ने कहा गया है कि कंपनी को सिर्फ कोबाल्ट सोर्स ले जाकर डिस्पोज करने के लिए कोटा तक ट्रांसपोर्टेशन करने के लिए आदेशित किया गया। शेष मशीन को डिस्मेंटल व कलेक्शन करके रेडियोथेरेपी विभाग में ही छोड़ना था। मगर कंपनी वर्क ऑर्डर के निर्देशों के विपरीत संपूर्ण मशीन अपने साथ ले गई, जो कि पूर्णत: गलत है। कंपनी से 28 दिसंबर को ई-मेल द्वारा जानकारी मांगी गई तो उन्होंने मशीन ले जाने की बात स्वीकारी। पत्र के साथ संलग्न कुटेशन से भी यह जानकारी प्राप्त हुई कि कंपनी ने मशीन के स्क्रेप बेचने के लिए कुटेशन प्राप्त किए। इस प्रकार कंपनी ने बिना अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के मशीन को ले जाकर आपराधिक कृत्य किया है। मामले की जांच भी की जा रही है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संभावना है। इस तहरीर के बाद से हड़कंप मचा हुआ है।

गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरेपी विभाग में उपचार के लिए एक मशीन थैराटॉन कोबाल्ट 780 ई वर्ष 2005-06 में स्थापित की गई थी। इसमें लगा हुआ कोबाल्ट सोर्स आयु पूर्ण होने के कारण क्रियाशील नहीं रह गया था। इसको नष्ट करने के लिए चेन्नई की कंपनी को आदेश दिया गया था। बताया गया कि अक्तूबर में कंपनी का स्टाफ सोर्स के साथ-साथ पूरी मशीन ही ले गया, किंतु मेडिकल कॉलेज के अधिकारी इससे पूरी तरह अंजान रहे। मामला तूल पकड़ा तो हड़कंप मच गया। बीते दिनों कोबाल्ट मशीन न चलने के कारणों की जांच करने आई शासन की टीम ने भी मशीन जाने पर सवाल खड़े किए। अब मेडिकल कॉलेज के अधिकारी हरकत में आए।