जनता की शिकायतों का त्वरित निराकरण करें

– महाप्रबंधक ने बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की

प्रयागराज। महाप्रबंधक  उत्तर मध्य रेलवे प्रमोद कुमार ने बुधवार जोन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। आगरा, प्रयागराज और झांसी के मंडल रेल प्रबंधक श्री आशुतोष ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में हिस्सा लिया । बैठक के दौरान, महाप्रबंधक ने यह स्पष्ट किया कि ट्रेन संचालन में संरक्षा सर्वोपरि है और संरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले की, यदि वांछित हो तो उच्च स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारण के साथ उचित रूप से जांच की जानी चाहिए। महाप्रबंधक ने कहा कि यह अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षित करें और उनकी क्षमताओं को नियमित रूप से अपग्रेड करें। उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नियम में कोई भी संशोधन या कोई नया नियम फील्ड में पहुंचे और यह सुनिश्चित किया जाए कि कर्मचारियों ने उन्हें ठीक से समझा है।

बैठक की शुरुआत प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी मनीष गुप्ता द्वारा आपदा प्रबंधन योजना के संबंध में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन साझा करने के साथ हुई। श्री गुप्ता ने कहा कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए खुद को तैयार रखने के लिए हमें खुद को अपडेट और अपग्रेड करना होगा। बैठक में यह भी विषय आया कि रेलवे ने आपदा प्रबंधन सिद्धांतों को एक अंतर्निहित दर्शन के रूप में आत्मसात किया है, जिसमें रोकथाम, शमन, क्षमता निर्माण, तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ट्रेन संचालन के मूल में निहित है कि, बचाव के हिस्से को अत्यधिक महत्व दिया जाना चाहिए। क्षमता निर्माण के संबंध में नियमित संरक्षा संगोष्ठियों के साथ समय पर प्रशिक्षण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम भी कराया जा रहा है। यह भी चर्चा की गई कि एआरटी और एआरएमई के रखरखाव पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि जब भी जरूरत हो, वे तैयार स्थिति में हों। मंडल रेल प्रबंधकों ने यह भी बताया कि अपनी तैयारियों का मूल्यांकन करने के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल की जा रही है।

आगे चर्चा करते हुए पीसीएसओ ने बताया कि उचित रिस्क मैपिंग करना और उपलब्ध नवीनतम तकनीक का लाभ उठाना आवश्यक है। महाप्रबंधक ने निर्देश दिए कि रिस्क मैपिंग एक स्टैटिक प्रैक्टिस नहीं होना चाहिए। सभी मंडलों को अपने मंडलों में संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए जो आपदा प्रवण हैं और यह मूल्यांकन एक गतिशील प्रक्रिया होना चाहिए। सोशल मीडिया और मोबाइल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर भी चर्चा की गई ताकि लोगों के बीच चलती ट्रेनों में बोर्डिंग / डीबोर्डिंग आदि संरक्षा संबंधी प्रथाओं के बारे में जागरूकता प्रसारित की जा सके। इस दौरान ट्रेनों में आग की घटनाओं संबंधी मामलों में रेलवे कर्मचारियों द्वारा बचाव और सावधानियों के संबंध में उठाए गए कदमों पर भी चर्चा की गई। महाप्रबंधक ने कहा कि कार्यशालाओं, निरीक्षणों और संगोष्ठियों के माध्यम से कर्मचारियों को नियमित रूप से इन मुद्दों पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। महाप्रबंधक ने यह भी निर्देशित किया कि स्टेशन के कर्मचारियों और अधिकारियों को समय-समय पर नजदीकी अस्पतालों, पुलिस थानों के साथ समन्वय बैठकें करनी चाहिए ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्यवाई हो सके।

भीड़ नियंत्रण के मुद्दे पर बोलते हुए महाप्रबंधक ने कहा कि किसी भी स्थानीय मेला या अन्य समागमों जैसे आगामी कार्यक्रमों की पहचान करने के लिए मंडलों में साप्ताहिक बैठकें होनी चाहिए और ट्रेन संचालन में संरक्षा के दृष्टिगत योजना बनाई जानी चाहिए। महाप्रबंधक ने कहा कि किसी भी असामान्य स्थिति में प्राथमिकता कम से कम समय में यातायात बहाल करने की होनी चाहिए ताकि जनता को न्यूनतम असुविधा के साथ ट्रेन संचालन फिर से शुरू किया जा सके।

बुनियादी ढांचे के मुद्दों पर चर्चा करते हुए महाप्रबंधक द्वारा यह भी बताया कि अभिलेखों को पीरीयॉडिक रूप से अपडेट किया जाना चाहिए क्योंकि कई बुनियादी ढांचे के काम चल रहे हैं जिनमें स्टेशन लेआउट का अपडेशन हो रहा है। इससे कागजी रिकॉर्ड और वास्तविक भौतिक स्थितियों में कोई विसंगति की संभावना नहीं होगी ।

बैठक में अन्य मुद्दों जैसे एसेट फेलियर और उन्हें कम करने के लिए उठाए गए कदम, अदालती मामलों की स्थिति और याचिकाओं को कम करने के लिए किए गए उपाय एवं यात्री सुविधाओं से संबंधित मदों पर चर्चा की गई। इसी क्रम में महाप्रबंधक  ने कहा कि जनता की शिकायतों के निवारण में किसी भी तरह की देरी अस्वीकार्य है। रेल मदद के माध्यम से प्राप्त जनता की शिकायतों का उचित विश्लेषण किया जाना चाहिए और जल्द से जल्द जवाब दिया जाना चाहिए।