– झांसी में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव की तिलमिलाहट ने परिदृश्य किया साफ

– सम्मेलन में ब्राह्मणों की भीड़ नहीं जुटाने व अनुराधा शर्मा के नहीं पहुंचने से उठे सवाल

झांसी। बुंदेलखंड में बहुजन समाज पार्टी द्वारा भले ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा के कंधे पर ब्राम्हण वोटों में सेंध लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, किंतु बुंदेलखंड के प्रवेश द्वार झांसी में ही बसपा का प्रबुद्ध सम्मेलन लगभग फ्लॉप शो साबित हुआ। हालात यह रही कि सम्मेलन में ब्राह्मणों की तादाद उंगलियों पर गिनने लायक दिखी, वहीं बसपा की प्रमुख नेत्री व उनकी समधन अनुराधा शर्मा की नामौजूदगी ने भी कई सवाल खड़े कर दिए और राष्ट्रीय महासचिव को इसका उत्तर देने के स्थान पर तिलमिलाना हकीकत बयां कर गया।
झांसी में बस स्टैंड के नजदीक विवाह घर में आयोजित सम्मेलन के लिए भव्य मंच और पंडाल के बावजूद उम्मीद के विपरीत ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधित्व की ‘संख्या’ ने साबित कर दिया कि बुन्देलखण्ड में बसपा की ब्राह्मण समाज पर दांव भारी पड़ सकता है। सम्मेलन में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा व पूर्व कैबिनेट मंत्री नकुल दुबे के माथे पर परेशानी की लकीरों में इसका दर्द झलकता दिखाई दिया। रही सही कसर प्रेस वार्ता में पूरी हो गई। सतीश मिश्रा से जब बसपा नेत्री अनुराधा शर्मा की सम्मेलन से दूरी का सवाल पूछा गया तो वह तिलमिला गए। उन्होंने कहा कि वे उनके घर में ही ठहरे हैं। जब यह सवाल पूछा गया कि अनुराधा शर्मा ने 2019 के चुनाव में भाजपा के मंच से पीएम मोदी की तारीफ की थी, तो इस सवाल पर सतीश मिश्रा ने जवाब देने से इनकार कर दिया और कार्यक्रम पर केंद्रित सवाल ही पूछने को कहा। जब दोबारा यही सवाल दागा तो वह उठ खड़े हुए। हालांकि पत्रकारों के कहने पर वह पुनः बैठ तो ग्ए पर असहज बने रहे। अल्पसंख्यकों की उपेक्षा के सवाल को भी वह टाल गए।
सम्मेलन में बसपा के टिकट पर दावेदारी करने वाले झांसी के एक युवा नेता के गायब रहने व बबीना के पूर्व विधायक कृष्णपाल राजपूत को मंच पर जगह नहीं मिलना चर्चाओं में रहा। हालांकि सम्मेलन में राष्ट्रीय महासचिव ने यह बताने में कसर नहीं छोड़ी कि भाजपा ब्राह्मणों की हितैषी नहीं विरोधी है। उन्होंने की उदाहरण प्रस्तुत करते हुए ब्राह्मण समाज पर पूरे प्रदेश में हो रहे उत्पीड़न को मुद्दा बनाते हुए पार्टी के पक्ष में वोट करने की अपील की। दलित समाज पर हो रहे उत्पीड़न और कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर भी प्रदेश सरकार पर हमला बोला। उन्होंने किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए बताया कि केंद्र में भाजपा सरकार ने उद्योगपतियों के कहने पर तीन कृषि कानून बनाये हैं, जो इन्हें चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक मदद करते हैं. सभी सरकारी उपक्रम इन उद्योगपतियों को बेचने का काम कर रहे हैं। राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने तक लाखों करोड़ों रुपये मंदिर के नाम पर वसूले, अयोध्या के नाम पर हजारों करोड़ रुपये सरकारी बजट से निकाले, लेकिन वहां एक नया पैसा नहीं लगा। पैसा कहां गया, किसी को नहीं मालूम। उन्होंने सपा को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब प्रदेश में सपा सरकार आती है तो पूरे प्रदेश में गुंडागर्दी, बलात्कार, डकैती, अपराध बढ़ जाते हैं, उसी तरह भाजपा की सरकार में हो रहा है. सपा सरकार में भी ब्राह्मण समाज को सबक सिखाने का काम किया जाता था। उन्होंने बसपा सरकार में ब्राह्मणों को दिए गए सम्मान की लम्बी फेहरिस्त सामने रखते हुए यह साबित करने में कसर नहीं छोड़ी कि ब्राह्मणों की सच्ची हितैषी बसपा ही है।