-बाहूबली और आरआरआर के बाद अब धूम मचाऐगी यह नई फिल्म

मुम्बई/झांसी। भारत के मशहूर उपन्यासकार महर्षी बंकिमचंद्र चौटर्जी की १२८ वी पुण्यतिथी के उपलक्ष्य में मशहूर लेखक और निर्माता राम कमल मुखर्जी और जी स्टुडिओज के भूतपूर्व प्रमुख सुजोय कुट्टी ने अपनी खुबसूरत कलाकृती १७७० एक संग्राम के लिए के व्ही विजेद्र प्रसाद के साथ गठजोड किया है। यह कलाकृती चौटर्जी की बहुचर्चित राष्ट्रवादी बंगाली उपन्यास आनंदमठ से प्रेरित कहानी है। यह फिल्म वंदे मातरम् के १५० वें वर्ष को भी चिह्नित करती है। जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारत में स्वराज आंदोलन को गति दी थी। चौटर्जी द्वारा अपनें उपन्यास आनंदमठ में यह गीत लिखा था, यह गीत १८७२ में बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। इस विशालकाय प्रस्तुती का निर्माण एसएस-१ एन्टरटेन्मेंट के डायरेक्टर शैलेंद्र कुमार, पीके एन्टरटेन्मेंट्स के डायरेक्टर सुरज शर्मा द्वारा किया जा रहा है और उसें हिंदी, तमिळ और तेलुगू भाषा में एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है।
मशहूर लेखक के व्ही विजेंद्र प्रसाद ने बताया कि “ जब सुजोय आनंदमठ के लिए मेरे पास आए तो मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने यह उपन्यास कई साल पहले पढ़ा था और मुझे यह लगता है की आज की पीढ़ी इस विषय के साथ नहीं जुड पाएगी पर जब मैं राम कमल से मिला तो उन्होंने आनंदमठ पर अपना दृष्टिकोण समझाया। आनंदमठ के बारें में उनके अनोखे विचार है। यह विचार काफी पेशेवर और मानवता से जुडा हुआ था। दो या तीन बार मिलने के बाद मैं अब इस विषय को संपूर्ण रूप से नए आयाम से देखते हुए उस पर काम करने के लिए उत्साही हूं। आनंदमठ का पुर्ननिर्माण करना मेरे लिए सचमुच में एक विशाल चुनौती है.”

जी स्टुडिओ के भूतपूर्व प्रमुख सुजोय कुट्टी ने कहा “ हमें खुशी है हम इस क्लासिक को फिर से मिलने जा रहें है। वंदे मातरम का जादू को फिर से पर्दे पर लानें के लिए मैं उत्सुक हूं। मैंने विजेंद्र सर के साथ मणिकर्णिका के लिए काम किया है और हमनें अन्य दो अलग अलग प्रकल्पों में भी एकसाथ काम किया है। जब राम कमल ने १७७० एक संग्राम के लिए हमारे साथ संपर्क किया तो प्रकल्प की मात्रा और कार्य देखकर मेरे मन में विजेंद्र सर का नाम सामने आया। मुझे खुशी है की शैलेंद्र कुमार और सुरज शर्मा जैसे युवा निर्माताओं ने सचमुच के नायकों पर कथा लिख रहे है। जब हम कहानी के पहलें ड्राफ्ट को तैय्यार करेंगे तो हम हमारे कलाकारों का चयन करेंगे.”
मशहूर लेखक और फिल्म निर्माता कमल मुखर्जी के अनुसार “मेरे लिए यह सपनों का प्रोजेक्ट है। मैं भारत के सबसे सेलिब्रेटेड कलात्मक टीम के साथ काम कर रहा हूं और दर्शकों के लिए एक सुंदर कलाकृती ले आऊंगा। मुझे लगता है की आनंदमठ की कहानी बतानें का यह सही समय है। सन्यासियों की एक अनोखी कहानी जो ब्रिटिश राज के साथ लड़ा और स्वतंत्रता के बीज उन्होंने बोए। मुझ्रे लगता है की इस कहानी को फिल्म के माध्यम से अलग पध्दती से दर्शाया जा सकता है।”
झांसी में जन्मे एसएस1 एंटरटेनमेंट के संगीतकार से निर्माता बने शैलेंद्र कुमार कहते हैं, ‘जब दादा (राम कमल) ने कहानी सुनाई, तो मुझे यकीन था कि मैं फिल्म का निर्माण करना चाहूंगा। मैं सूरज और उनके परिवार को जानता था और हमने इस फिल्म में सहयोग करने का फैसला किया। विजयेंद्र सर के जादुई स्पर्श के साथ, इस फिल्म को समीक्षकों और व्यावसायिक दोनों रूप से सराहा जाएगा।’
इस मेगा बजट फीचर फिल्म को हैदराबाद, पश्चिम बंगाल और लंदन में शूट किया जाएगा। पी के एन्टरटेन्मेंट के युवा निर्माता सुरज शर्मा ने बताया कि “एक छात्र के रूप में मैं इस देशभक्ती पर आधारीत फिल्मों से प्रेरित हुआ हूं। मैं लगान, जोधा अकबर, बाजीराव मस्तानी और बाहुबली जैसे फिल्मे देखकर बड़ा हुआ हूं। मैंने बंकिंमचंद्र के साहित्य को स्कूलों में पढा है पर आनंदमठ मेरे पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं थी इसलिए जब रामकमल सर ने मुझे कहानी बतायी तो मैं बहुत उत्साहीत हुआ। दुर्भाग्यवश लोग ऐसे दुर्लभ रत्नों को अपनें साहित्य से भूल चुकें है। मुझे यकीन है की मैं एक ऐसी फिल्म के साथ निर्माता के रूप में शुरुआत करना चाहूंगा जो भारत की आत्मा से जुड़ेगी। मैं केवल २१ साल का हूं और मैं सुजोय कुट्टी, विजेंद्रसर और शैलेंद्र जी जैसे मशहूर कलाकारों के साथ जुड़कर १७७० एक संघर्ष को नए कलात्मक रुप में पेश कर रहा हूं।”
फिलहाल निर्माता मुम्बई और हैद्राबाद के बीच फिल्मांकन करनें में व्यस्त है। मई महिने के अंत तक उनकी ओर से टिज़र पोस्टर जारी किया जाने के आसार है. “ अक्टुबर २०२२ से शूटिंग शुरू होने की उम्मीद है और हमें निर्माण शुरू होने से पहले की तैय्यारी के लिए १२० दिनों की जरुरत है। यह काफी विशाल प्रकल्प है और उसके लिए काफी बड़ा बजट जरुरी होता है। राम कमल का कहना है कि इस फिल्म को पूर्ण करनें के लिए हमें लगभग डेढ़ साल का वक्त लगेगा।”