झांसी। मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय द्वारा बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक विरासत एवं ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने एवं सम्बर्द्धित करने के लिये बड़े व्यापक पैमाने पर कार्य किया जा रहा है।मण्डलायुक्त की पहल से बुन्देलखण्ड के इतिहास को एक नया आयाम मिलने की संभावना है।
दरअसल बुन्देलखण्ड एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर धरोहर के रूप में हस्तलिखित पाण्डुलिपियां यत्र-तत्र बिखरी हुई हैं। झॉसी मण्डल के तीनों जिलों में कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी जड़ें इतिहास के साथ गहराई से जुड़ी हुई हैं, उनके पास बहुत सी हस्तलिखित सैकड़ों वर्ष पुरानी पाण्डुलिपियां उपलब्ध हैं, जो संरक्षित तो हैं परन्तु उनका उपयोग इतिहास और नयी जानकारियां हांसिल करने में नहीं हो पा रहा है।
मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय द्वारा चलाये जा रहे सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के अभियान की गूंज ऐसे लोगों तक भी पहुंच रही है। इसी कड़ी में आज डॉ० मधुसूदन व्यास, निवासी झाँसी के परिवार से भेंट हुई, उन्होंने मण्डलायुक्त को अपने घर में संरक्षित 300 वर्ष पुरानी पाण्डुलिपियां दिखायीं। मण्डलायुक्त ने इन पाण्डुलिपियों को देखा और पुरातत्व विभाग के डा० एस०के० दुबे, पुरातत्व अधिकारी, राज्य पुरातत्व विभाग, झॉसी को बुलाकर इनके लाभपरक उपयोगों पर विस्तार से चर्चा की मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय ने आज ऐतिहासिक पाण्डुलिपियों के सम्बन्ध में निम्नलिखित निर्देश मण्डल के समस्त जिलाधिकारियों को निर्गत किये हैं।
उन्होंने कहा कि जिले में 100 वर्ष से पुरानी हस्तलिखित पाण्डुलिपियों की खोज की जाय।  ऐसे पाण्डुलिपियों का संकलन सुनिश्चित किया जाय। यदि पाण्डुलिपियों को मूलरूप में हस्तगत कराने में कोई संकोच करे तो कम से कम उसकी छायाप्रतिया प्राप्त की जायें। विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को मण्डलायुक्त ने यह निर्देश दिये हैं कि अटल एकता पार्क में स्थापित पुस्तकालयों में एक विंग ऐसी पाण्डुलिपियों के संग्रहण के लिए तैयार की जाय। पुरानी पाण्डुलिपियों को क्षय होने या नष्ट होने से बचाने के लिए जो वैज्ञानिक तकनीक हैं उसका इस्तेमाल करते हुए उन्हें संरक्षित किया जाय।  इन पाण्डुलिपियों की विषय वस्तु का बुन्देलखण्ड विश्व विद्यालय के विषय विशेषज्ञों की टीम से अध्ययन कराकर उनकी कैटलॉग तैयार करायी जाय। इन पाण्डुलिपियों में उल्लिखित विषय वस्तु को शामिल करते हुये शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाय। यदि कोई अपने यहां संरक्षित पाण्डुलिपियों को रखना नहीं चाहता है तो उन पाण्डुलिपियों को संरक्षित रखने की जानकारी दी जाय।
मण्डलायुक्त ने डॉ० एस०के० दुबे, पुरातत्व अधिकारी राज्य पुरातत्व विभाग, झाँसी को बुलाकर निर्देश दिये कि झाँसी संग्रहालय में जो अभिलेख संरक्षित हैं उन्हें प्रदर्शन की वस्तु न बनाया जाय बल्कि उसमें उल्लिखित तथ्यों को समझकर शोध कार्य हेतु शोधार्थियों को उपलब्ध कराया जाय।
डॉ० एस० के० दुबे, पुरातत्व अधिकारी, राज्य पुरातत्व विभाग, झाँसी द्वारा यह कहा गया कि डॉ० मधुसूदन व्यास, निवासी झॉसी के पाण्डुलिपि संग्रह में विद्यमान लगभग 300 वर्ष पुरानी पाण्डुलिपियों पर शोध कार्य करने से बुन्देलखण्ड के पुराने इतिहास एवं संस्कृति के छिपे रहस्य उजागर होंगे। मण्डलायुक्त के निर्देशन में चलाया जा रहा यह अभियान सराहनीय है।
इस दौरान डॉ० मधुसूदन व्यास, निवासी झॉसी द्वारा अवगत कराया कि बुन्देली संस्कृति में हमारे पूर्वजों द्वारा जो वेद पुराणों एवं जीवन शैली की रचना की गयी है, उसको पुनर्जीवित करना एक अनूठा प्रयास है। मेरे द्वारा विगत 300 वर्ष पुरानी पाण्डुलिपियां मण्डलायुक्त महोदय को दिखायीं गयी हैं। यह पाण्डुलिपियां मेरे परदादा श्री मनीराम व्यास के नाना पं० जगन्नाथ व्यास जोकि झॉसी की रानी महारानी लक्ष्मीबाई जी के खास अंगरक्षक थे, के द्वारा यह पाण्डुलिपियां रचित की गयीं हैं, जिसके सम्बर्द्धन से आधुनिक जीवन को एक नयी दिशा मिलेगी। मण्डलायुक्त महोदय का यह प्रयास नयी पीढ़ी के लिए एक नयी दिशा प्रदान करेगा।
डॉ० मधुसूदन व्यास निवासी झॉसी द्वारा लगभग 300 वर्ष पुरानी पाण्डुलिपियां मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय को दिखाते हुये राज्याभिषेक के समय इस्तेमाल होने वाली इन पाण्डुलिपियों में तत्समय होने वाली सामग्रियों का विवरण है।