जनकल्याण महासमिति का प्राचीन जल प्रबन्धन प्रणाली के पुनरुद्धार पर जोर 

झांसी। लगातार भूजल स्तर गिरने से शासन भी चिन्तित है और इसके लिए प्रयासरत है कि गिरते भूजल स्तर को कैसे रोका जाए? इसके लिए 16 से 22 जुलाई तक आयोजित भूजल सप्ताह पर ज़िला जनकल्याण महासमिति एक कार्ययोजना बनाकर बावड़ी , चौपड़ा एवं कुओं के संरक्षण के लिए प्रेरित करेगी।

केन्द्रीय अध्यक्ष डॉ जितेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि देश में और विशेषकर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बावड़ियों के निर्माण और उपभोग का काफी पुराना इतिहास रहा है। पानी के प्राचीन पारम्परिक प्रणालियों का महत्त्व हमें समझना होगा। गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए भी हमें प्राचीनतम जल प्रबन्धन प्रणाली के पुनरुद्धार की आवश्यकता है। बावड़ी के संरक्षण के लिए महासमिति लोगों को प्रेरित करेगी। इसके लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र की बावड़ियों को संरक्षित रखने वालों को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही प्राचीन जल संसाधन विषय पर कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएगी। इसमें प्रतिभागियों को पुरुस्कृत कर जल संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

उन्होंने बावड़ियों और कुओं में कूड़ा-कचरा डालकर उसे विलुप्त करने को नुकसानदायक बताते हुए इसके पुनरुद्धार पर बल देते हुए कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर लोगों में जनजागरूकता लाने का निर्णय महासमिति ने लिया है। जल प्रबन्धन की दिशा में बावड़ी संरक्षित करने के लिए मुख्यमन्त्री को भी महासमिति पत्र लिखकर विशेष योजना बनाने का आग्रह करेगी। आचार्य पं हरिओम पाठक ने कहा कि महाराज वीर सिंह जू देव ने बुंदेलखंड में पानी की व्यवस्था के लिए बहुत काम किया। इन्हीं ने कुएं, बाबडी और तालाबों को बनाने पर जोर दिया। इस दौरान अब्दुल नोमान, सतेंद्र कुमार तिवारी, सोनम कुमारी, गुरुजीत सिंह खनूजा, प्रदीप सिंह बुंदेला आदि मौजूद रहे।