बुन्देली लोक संस्कृति पर सेमिनार आयोजित

झांसी। राजकीय संग्रहालय सभागार में “बुंदेली लोक देवताओं का बुंदेली जनजीवन पर प्रभाव” विषय पर आधारित सेमिनार का आयोजन किया गया।

बुंदेलखंड इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व शोध समिति, सामाजिक संस्था उजाला, क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई एवं राजकीय संग्रहालय झांसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में अतिथियों का स्वागत संयोजक डॉ एस के दुबे, डॉ मनमोहन मनु, सामजय नायक, रामेश्वर गिरी, रसकेन्द्र गौतम ने किया। कार्यक्रम अध्यक्ष आकाशवाणी केन्द्र निदेशक कुंज बिहारी एवं मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने आयोजन की सराहना करते हुए बुंदेली लोक देवताओं को बुंदेलखंड की लोक संस्कृति का आधार व प्रतीक बताया।

मुख्य वक्ता राज्य मंत्री हरगोविंद कुशवाहा, राजकीय संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ एसके दुबे, पत्रकार प्रवीण कुमार जैन, सुदर्शन शिवहरे, आलोक शांडिल्य, प्रो. पुनीत बिसारिया, सीताराम कुशवाहा, मधु श्रीवास्तव, डॉ धन्नु लाल गौतम, राम शंकर भारती, अंजनी श्रीवास्तव ने कहा कि लाला हरदौल, खाती बाबा, कारस देव, घटौरिया बाबा, पुलिया बाबा, शीतला माता आदि लोक देवताओं का बुंदेलखंड के जनजीवन पर जन्म, विवाह, मृत्यु व अन्य संस्कारों में गहरा प्रभाव व विश्वास हमेशा से देखा गया है। पश्चिमी सभ्यता का चलन बढ़ने व संयुक्त परिवार के विघटन के चलते बुंदेली संस्कृति प्रभावित हो रही है। पृथ्वी, पेड़, नदियों, पहाड़ों, पशु पक्षियों को यहां पूजा जाता है, इसी के चलते प्रकृति का संतुलन बना हुआ है और बुंदेलखंड का जनजीवन प्रकृति से लोक देवी-देवताओं के रूप में जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम का संचालन लोक भूषण पन्नालाल असर ने किया। अंत में उजाला के महासचिव डॉ. मनमोहन मनु ने आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर डॉ प्रदीप तिवारी, रिपुसूदन नामदेव, प्रदीप पांडेय, निदिश त्यागी नई दिल्ली, सोम तिवारी, राहुल नायक, अनिल कुशवाहा, दिनेश श्रीवास्तव, अमरेन्द्र समेत प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।