– रेल प्रशासन व एनसीआरकेएस के सहमति न बन पाने से केस को अग्रिम सक्षम अधिकारी के समक्ष hearing के लिए भेजा

झांसी। 21 सितम्बर को कानपुर श्रमायुक्त कार्यालय में वेतन से सदस्यता एवम लेवी कटौती मसले पर सुनवाई के लिये श्रमायुक्त के समक्ष महाप्रबंधक ncr प्रतिनिधि, झांसी मण्डल रेल प्रबंधक प्रतिनिधि एवं एनसीआरकेएस के प्रतिनिधि राजेन्द्र अवस्थी,कामेंद्र तिवारी एवम नीरज श्रीवास्तव सम्मिलित हुए।
इस दौरान रेल प्रशासन ने वेतन से सदस्यता एवम लेवी कटौती हेतु जारी जेपीओ एवम चेक ऑफ सिस्टम पर अपने मनतव्य देते हुए ढेरों दलील पेश की। इसी क्रम में कर्मचारियों के हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज पेश कर जेपीओ को उचित ठहरा एवम गुमराह करने का प्रयास किया। इन दलीलों का एनसीआरकेएस पदाधिकारियों ने पुरजोर विरोध करते हुए दस्तावेज को फ़र्ज़ी साबित करने में कोई कसर नही छोड़ी।

बताया गया कि उक्त हस्ताक्षर 29 अगस्त 22 को हुआ और उन हस्ताक्षर रहित फार्म को डीजल शेड झाँसी ब्रांच प्रशासन को 22 अगस्त 22 एवम उसी पत्र को मण्डल मंत्री 20 अगस्त 22 को कैसे हस्तांतरित किया जा सकता है ?? इस तर्क को श्रमायुक्त ने बड़े ध्यान से सुना व समझा। जिनके विचार से पैरा 5 के अलावा पूरे जेपीओ पर ही प्रश्न चिन्ह उठा दिए जो कि एनसीआरकेएस की एक बड़ी जीत है।

रेलवे प्रशासन वर्तमान मे चंदा कटौती की व्यवस्था को ही जारी रखने के पक्ष में हैं जबकि शिकायतकर्ता एनसीआरकेएस ने इस व्यवस्था के तहत कटौती के समझौते जिसे जेपीओ कहते है उसमें कुल 5 कमियां बताई। एनसीआरकेएस का कहना हैं कि जब जेपीओ के पैरा 5 में कर्मचारियों से हर बार कटौती के लिए प्रावधान किया गया है तो जोन में वास्तव में इस नियम का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। इसी प्रकार जेपीओ के पैरा 6, 13 में भी कमियां बतायी गई । चन्दा कटौती के प्रोफार्मा को दोषपूर्ण बताते हुये इसको सही करने की जरूरत पर एनसीआरकेएस ने जोर दिया। रेल एडमिनिस्ट्रेशन की केस ख़ारिज करने के मांग को अस्वीकार करते हुए श्रमायुक्त ने मामले को labour tribunal को सौंप दिया है। यह जानकारी कामेंद्र तिवारी मण्डल सचिव एनसीआरकेएस ने दी है।