झांसी। इसे चिकित्सकों की गैर जिम्मेदाराना हरकत कहें या परिजनों की संवेदनहीनता कि किसी महिला के कोख से निकाले गए मृत भ्रूण को कुत्तों का निवाला बनने के लिए झांसी में मेडिकल कॉलेज के निकट नर्सिंग होम बाजार वीरांगना नगर में फेंक दिया। बच्ची के शव को कुत्तों ने जगह-जगह नोंच लिया। उसका आधा पैर भी कुत्ते खा गए। लोगों ने शव को कुत्ते के मुंह से छुड़ाया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और जांच की जा रही है की भ्रूण फेंका कहां से गया है। फिलहाल जिस तरीके से जांच पड़ताल की जा रही है उससे इस यक्ष प्रश्न का उत्तर मिलना मुश्किल है।

दरअसल, वीरांगना नगर में शनिवार सुबह सवा दस बजे एक कुत्ता मुंह में दबा कर नवजात (भ्रूण) के शव को ले जा रहा था। यह देखकर लोगों ने कुत्ते को भगाया। उसके मुंह से बच्ची का शव छुड़ाया। नवजात के पूरे शरीर पर कुत्तों के नोंचने के जख्म थे। उसका चेहरा भी पहचानने लायक नहीं बचा था। बाएं पैर का आधा हिस्सा तो कुत्ते चबा ही गए थे। साथ ही एक पंजा भी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया था। शव से निकलती दुर्गंध से संभावना है कि नवजात का जन्म एक-दो दिन पहले हुआ होगा। भ्रूण को रुई में लपेटकर परिजनों या नर्सिंग होम कर्मियों ने फेंका होगा, क्योंकि उसके शरीर पर रुई का कुछ हिस्सा लगा था।

नर्सिंग होम की मंडी वीरांगना नगर में जिस जगह पर नवजात बच्ची के शव को कुत्ते नोंच रहे थे, वहां पर ही आधा दर्जन से अधिक नर्सिंगहोम हैं। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज और उसके सामने भी कई अस्पताल हैं, जहां प्रसव होते हैं। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। पुलिस यदि अस्पतालों से पिछले चार-पांच दिनों में जन्म लेने वाले बच्चों का रिकॉर्ड और फुटेज से पड़ताल करे तो नवजात के फेंकने वाले उजागर हो सकते हैं।पुलिस चार-पांच दिनों में अस्पताल के जन्म लेने वाले बच्चों का रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो बच्ची को फेंकने वालों की शिनाख्त हो सकती है।

बच्ची के भ्रूण के पैरों में स्याही लगी हुई है। इससे स्पष्ट है कि वो भ्रूण नहीं, बल्कि नवजात बच्ची ही है और उसकी डिलीवरी किसी अस्पताल में हुई है। डॉक्टरों ने बताया कि चाहें सरकारी अस्पताल हो या निजी हॉस्पिटल, हर जगह नवजात की पहचान के लिए कागज पर पैरों के निशान लिए जाते हैं।