झाँसी । श्रीरामजानकी मंदिर मेहंदी बाग में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक महंत मदन मोहनदास महाराज ने श्री कृष्ण की जीवनलीला के साथ कंस वध, मथुरा गमन, रुक्मणी विवाह का वर्णन किया।
महंत मदन मोहनदास महाराज ने कहा कि सिर्फ आराध्य की कृपा प्राप्त करने से ही अभिमान का अंत संभव है। क्रोध का मूल कारण हमारी कामनाये है जो कभी पूर्ण नहीं होती  है इसलिए हमें क्रोध लगातार आता है और हमारी सारी परेशानियों का कारण बनता है। क्रोध की अग्नि मैं जल कर अपना नुकसान करता है, जब मनुष्य के अंदर संतोष गुण आ जाता है उसे क्रोध आना बंद हो जाता। कथा के दौरान भगवान के भजनों पर भक्तगणों ने नृत्य कर आनंद प्राप्त किया। इस अवसर पर कथा पारिक्षित  पुष्पलता गौरीशंकर द्विवेदी, नंदकिशोर  श्याम मकरादिया , बालमुकुंद तिवारी, अनूप, अनिल, विजय सोनी, प्रवीण, ऊषा नायक, उर्वसी भट्ट, सुशील शर्मा, बीएस तोमर, राष्ट्रभक्त संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष अंचल अरजरिया, महंत प्रेम नारायण दास काकाजी  महाराज अनिल सुखदेव वाधवानी, रामप्रकाश तिवारी, मयंक तिवारी, सर्वेश पटेल, प्रदीप श्रीवास्तव, आरके दुबे, अखिलेश तिवारी, कम्मू, मनीष, वेद प्रकाश तिवारी सहित विभिन्न मंदिरों के पुजारीगण व सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।