– सुदामा चरित्र के मार्मिक प्रसंग के साथ श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का समापन
झांसी। नित्य निकुंज लीला निवासी पूज्य गुरुदेव महंत बिहारीदास महाराज के प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के उपलक्ष्य में सिविल लाइन ग्वालियर रोड स्थित कुंजबिहारी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिवस श्री कृष्ण सुदामा चरित्र के मार्मिक प्रसंग के साथ समापन हो गया। श्रीमद्भागवत की कथा के अंतिम दिवस भागवत को विराम देते हुए श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास राधाबल्लभ जू महाराज ने कहां कि लक्ष्मी के पीछे सब भागते हैं और लक्ष्मी नारायण के पीछे भागती है। “माया माया सब भजै,माधव भजै न कोई।जो कोई माधव को भजै सो माया चेरी होय”।।कथा व्यास ने कहा कि लक्ष्मी की पूजा भले ही करना किंतु उस पर विश्वास मत करना क्योंकि लक्ष्मी को कोई बांध नहीं सकता वह तो चंचला है और माधव की पूजा भले ही ना कर सको किंतु उन पर विश्वास अवश्य करना तो नारायण तुम्हारे साथ सदैव रहेगा। लक्ष्मी,अलक्ष्मी और महालक्ष्मी आदि लक्ष्मी के तीन रुप बताते हुए कथा व्यास ने कहा कि अनीति से कमाए गए धन में अलक्ष्मी, नीति से कमाए गए धन में लक्ष्मी तथा नीति -रीति और प्रीति से कमाए गए धन से घर में महालक्ष्मी आती है।उन्होंने कहा कि अनीति से धन कमाकर कोई पति अपनी पत्नी के लिए सोने के कंगन भले ही पहना दे किंतु बाद में पति को लोहे के कंगन भी पहनने पढ़ सकते हैं। वे कहते हैं कि अनीति से कमाए गये धन में घर में कभी शांति नहीं रह सकती परंतु महालक्ष्मी की कृपा यदि हो जाए तो घर में सदैव शांति रहती है। श्री कृष्ण सुदामा चरित्र का प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि गुरु और मित्र से कभी कपट नहीं करना चाहिए। सुदामा ने संदीपन आश्रम गुरुमाता द्वारा दिए गए चने में से कृष्ण का हिस्सा खा लिया था जिस कारण उन्हें पूरा जीवन गरीबी में गुजारना पड़ा। इससे पूर्व उन्होंने भगवान के 16,108 पटरानियों के विवाह, भामाशाह नामक राक्षस का उद्धार आदि का विस्तार से वर्णन किया।
प्रारंभ में बुंदेलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज, मनमोहनदास महाराज, पवनदास, बालकदास महाराज एवं मुख्य यजमान श्रीमती अंकिता सोहित गुप्ता ने कथा व्यास का माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा भागवत पुराण का पूजन कर आरती उतारी।