झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में बुन्देलखण्ड विज्ञान महोत्सव के पंचम दिवस पर सर सीवी रमन व्याख्यान माला के अंतर्गत मुख्य वक्ता इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त द्वारा प्राचीन बुंदेलखंड में विज्ञान और तकनीकी पर अपना शोध परक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड में स्थापत्य से लेकर कृषि और परंपराओं में विज्ञान का समावेश था, यहां की खेती के उपकरणों का वर्णन स्थापत्य में भी मिलता है, चंदेल काल में बुंदेलखंड के विभिन्न तालाबों को वैज्ञानिक पद्धति से निर्मित कराया गया था, जिससे सिंचाई के लिए कभी पानी की कमी नहीं रही, चंदेल राजा त्रैलोक्य वर्मा के सागर ताम्र पत्र में उल्लेख है कि गन्ना, कपास, आम, महुआ की खेती बहुतायत में होती थी, बुंदेलखंड में पत्थर कोयला, लोहा , जिप्सम और रामरज की अपार भंडार मिलते हैं, यहां कांच के मनके बनाने के कार्य होता था, जातक कथाओं में यहां की उच्च कोटि की तलवार बनाने के कार्य का वर्णन मिलता है।

इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त ने बताया कि चंदेल अभिलेखों में चिकित्सा संबंधी एवं उपचार उपकरणों का विवरण मिलता है, यहां रसायन शास्त्र के रूप में शोधन का शोधन भी होता था। उन्होंने बताया कि कालांतर में आक्रमणकारियों एवं अंग्रेज अधिकारियों ने यहां के विज्ञान के शास्त्र और पांडुलिपियों को चुराया और नष्ट किया है , जिसके चलते यहां के प्राचीन शोध का प्रचार प्रसार नहीं हो पाया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ संजीव कुमार श्रीवास्तव ने किया एवं आभार आयोजन सचिव डॉ अनुपम व्यास ने किया। इस अवसर पर डॉ बृजेश दीक्षित, डॉ सुरेंद्र वर्मा डॉ राजीव सिंह, श्री अजय त्रिवेदी, प्रो सोमा, डॉ आदित्य, डॉ अंजली श्रीवास्तव व डॉ प्रियंका त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।