– दो दिनों के रामायण कॉन्क्लेव व ‘लोक में राम’ पर चित्र प्रदर्शनी की शुरुआत 

– ‘बुंदेली लोक जीवन में श्रीराम’ विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी

झांसी। राजकीय संग्रहालय में गुरुवार को दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव के साथ संग्रहालय की वीथिका में ‘लोक में राम’ विषय पर चित्र प्रदर्शनी की शुरुआत हुयी।

संग्रहालय के सभागार में ‘बुंदेली लोक जीवन में राम’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें वक्ताओं ने विषय से जुड़े विभिन्न पक्षों को रेखांकित किया। संगोष्ठी के बाद श्रीराम पर आधारित कथक नृत्य नाटिका और चिरगांव की रामलीला प्रस्तुत की गयी। इसके साथ ही रामायण चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ‘बुंदेली लोक जीवन में राम’ विषय पर संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडेय मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता धर्माचार्य हरिओम पाठक ने की। संगोष्ठी में वक्ताओं ने राम के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से अपनी बात रखी। कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने इस आयोजन की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय को भी ऐसे आयोजनों में सहभागी बनाने का आश्वासन दिया।

मुख्य वक्ता राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने बुंदेलखंड के लोकजीवन में भगवान राम की उपस्थिति का प्रसंगों के साथ उल्लेख किया। राम प्रकाश गुप्ता ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के साकेत में उल्लिखित राम के चरित्र की व्याख्या की। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ पुनीत बिसारिया ने बुंदेलखंड में पहली बार हो रहे रहे इस कॉन्क्लेव को ऐतिहासिक बताते हुए केशव दास की राम चंद्रिका पर प्रकाश डाला। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने कहा कि बुंदेलखंड के तुलसी ने पूरी दुनिया को एक समरस समाज दिया। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर के डॉ बहादुर सिंह परमार ने कहा कि राम पर आधारित बहुत सारी चौकड़िया और फागें ईसुरी ने लिखी हैं। शंकर शरण त्रिपाठी ने वाल्मीकि के रामायण और वाल्मीकि के राम चरित मानस की तुलना की। आचार्य हरिओम पाठक ने बुंदेलखंड को राम के जन्म का हेतु बताया।

संगोष्ठी का संचालन अर्जुन सिंह चांद ने किया जबकि संयोजक अतुल द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान निवर्तमान मेयर रामतीर्थ सिंघल, समाजसेवी डॉ नीति शास्त्री, उमा पाराशर, संजय राष्ट्रवादी, मोहम्मद नईम, देवराज चतुर्वेदी, डॉ सुनीता, डॉ अजय गुप्ता, बृजेश परिहार सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन जनजाति एवं लोक कला संस्कृति संस्थान लखनऊ, अयोध्या शोध संस्थान, ललित कला अकादमी लखनऊ, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और झांसी जिला प्रशासन सहित कई संस्थाओं ने मिलकर संयुक्त रूप से किया।