75 वें गौरवशाली वर्ष में प्रवेश पर अमृत महोत्सव वर्ष पर विविध कार्यक्रम 

झांसी। बुंदेलखंड महाविद्यालय बुंदेलखंड क्षेत्र का प्राचीनतम एवं प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान है। इसकी स्थापना 12 जुलाई 1949 को हुई थी। महाविद्यालय अपनी स्थापना के 75 वें गौरवशाली वर्ष में प्रवेश कर चुका है एवं इस वर्ष को महाविद्यालय द्वारा अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

यह जानकारी देते हुए प्राचार्य प्रो एस के राय ने बताया कि जुलाई माह से इस क्रम में अनेक शैक्षिक सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं गतिविधियों का सतत आयोजन हो रहा है। इसी कड़ी में 3 एवं 4 नवंबर को महाविद्यालय प्रांगण में पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस पुस्तक मेले में विभिन्न प्रकाशकों द्वारा अपने स्टाल लगाए जा रहे हैं। जिनसेे छात्र-छात्राएं शैक्षिक एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें क्रय कर सकेंगे।
इस मेले के माध्यम से छात्रों अध्यापकों एवं शैक्षिक संस्थाओं को अपनी आवश्यकता की विभिन्न पुस्तकें एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेगी। ऐसे समय में जबकी छात्रों एवं शिक्षकों की ऑन लाइन सामग्री में रूचि एवं निर्भरता लगातार बढ़ रही है पुस्तक मेले का आयोजन निश्चित रूप से छात्र-छात्राओं एवं अध्यापकों में पुस्तकों के प्रति रूचि में वृद्धि करेगा। यह पुस्तक मेला दो दिन तक रहेगा। मेले का समापन 4 नवंबर को सायं 06ः00 बजे सांस्कृतिक संध्या के साथ होगा।

उन्होंने बताया कि 3 नवंबर को ही अपराह्न 01ः00 बजे महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में नारी सम्मान समारोह का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें शिक्षा, चिकित्सा, समाज सेवा, खेल एवं अन्य विविध क्षेत्रों में बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व करने वाली तथा बुंदेलखंड क्षेत्र का नाम रोशन करने वाली 75 महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा।
इसके बाद सायं 5ः00 बजे काव्य संध्या का आयोजन किया जा रहा है जिसमें हिंदी तथा बुंदेली भाषा केे कवियों द्वारा अपनी रचनाओं का पाठ किया जाएगा। पुस्तक मेले का समापन 4 नवंबर को सायं 6ः00 बजे सांस्कृतिक संध्या के साथ होगा। सांस्कृतिक संध्या में बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के छात्रों द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएगें।

प्रेस वार्ता में उप-प्राचार्य प्रो0 जितेन्द्र कुमार तिवारी, डॉ0 प्रतिमा परमार, डॉ0 अरविन्द सिंह परमार, डॉ0 अनिरूद्ध गोयल, डॉ0 ब्रजेश कुमार मिश्रा, प्रो संजय सक्सेना आदि उपस्थित रहे।