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– डर गए तो खुद अबोध को लेकर थाने पहुंचे, CCTV फुटेज से पकड़े गए

ग्वालियर (संवाद सूत्र)। चलती ट्रेन में दो माह के मासूम बच्चे के सनसनीखेज अपहरण मामले का खुलासा हुआ तो सभी आश्चर्यचकित रह गए। बेटे की चाह में इंदौर के दंपती और उनकी महिला रिश्तेदार ने बच्चे का अपहरण किया था और पकड़े जाने के डर से इंदौर जीआरपी को बच्चा लौटाने पहुंच गए। ग्वालियर जीआरपी ने दंपती के साथ ही महिला की बड़ी बहन को भी गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें न्यायालय में पेश किया गया, जहां से दोनों महिलाओं को जेल भेज दिया गया है, जबकि महिला के पति फिटनेस ट्रेनर अमर सिंह को 5 दिन की रिमांड पर लिया गया है।

जीआरपी ने बताया है कि पूछताछ में आरोपी ने कबूला कि उसके 14 वर्ष की एक बेटी है। बेटा नहीं था। बेटे के लालच में उसने ट्रेन से बच्चे को उठाया था। जब बच्चे को लेकर घर पहुंचे तो आसपास के लोगों को शक हो गया और लोगों ने बच्चे के बारे में पूछना शुरू कर दिया। इससे वह डर गये और इन्दौर जीआरपी को बच्चे सौंप दिया। आरोपी की पत्नी इन्दू चौहान और साली रंजना को ग्वालियर जेल भेज दिया है। रंजना रेलवे स्टेशन इन्दौर में प्वाइंट्स मैन के पद पर कार्यरत है। जबकि इंदू चौहान हाउस वाइफ है।

डबरा से बच्चे को उठाया, ललितपुर स्टेशन के सीसीटीवी में कैद
मालवा एक्सप्रेस के एस-2 कोच में छतरपुर निवासी उमेश अहिरवार परिवार के साथ सफर कर रहा था। उमेश के अनुसार उसका एस-2 कोच के 13 और 14 नंबर सीट में रिजर्वेशन था। 6 अप्रैल की रात को 2 से 2:30 के बीज में ग्वालियर और डबरा के बीच उसने देखा कि उसका दो माह का बेटा सीट से गायब है।
इसके बाद उमेश ने इसकी जानकारी झांसी जीआरपी थाना में दी। वहीं 8 अप्रैल को आईआईएम में फिटनेस ट्रेनर अमर सिंह चौहान (42) जीआरपी थाना इंदौर बच्चे को लेकर पहुंचा। उसने बच्चे को जीआरपी को यह कहते हुए सौंप दिया कि यह बच्चा उन्हें लावारिस मिला था। जबकि बच्चे के पिता ने 7 अप्रैल की रात को ग्वालियर जीआरपी थाना में बच्चे का अपहरण का मामला दर्ज कराया था। वहीं आरोपी कह रहे हैं कि उन्होंने बच्चे का अपहरण नहीं किया है।

दरअसल, मप्र के छतरपुर रठखेरा गांव निवासी उमेश कुमार अहिरवार अपनी पत्नी सुखवंती एवं दो माह के बेटे नमन के साथ 5 अप्रैल को जम्मू से वेष्णोंदेवी के दर्शन करने के बाद झांसी जाने के लिए मालवा एक्सप्रेस के एस-2 कोच में सवार हुए थे। जब ट्रेन डबरा पहुंची तो उन्होंने अपने दो माह के बेटे को गायब पाया था। 7 अप्रैल को जीआरपी ग्वालियर पहुंचकर उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई थी। जीआरपी पड़ताल शुरू करती इसके पहले ही पता चला कि इंदौर में एक दंपत्ती जीआरपी थाने पहुंचा है और बच्चा उनको सौंपा है। दंपति ने कहानी सुनाई थी कि ट्रेन में बच्चा उनको लावारिस मिला था। इसके बाद एसपी मृगाखी डेका के निर्देश पर जीआरपी ग्वालियर टीआई पंकज दीवान ने अपनी टीम को इंदौर रवाना किया। यहां पहुंचकर जब टीम ने सभी स्टेशनों की सीसीटीवी फुटेज देखी तो पता चला कि दंपत्ती की कहानी झूठी थी, इसके बाद कॉल डिटेल भी निकलवाई गई थी। जिससे पूरी सच्चाई सामने आ गई।

पकड़े गए आरोपी 42 वर्षीय अमर सिंह पुत्र जगदीश चौहान निवासी पत्ती बाजार चंदन पार्क महू इंदौर ने
पत्नी इंदू चौहान और साली रंजना चनाल पति सुनील चनाल निवासी रेलवे कॉलोनी इंदौर के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था। दरअसल इनके एक बेटी थी, कोई बेटा नहीं था। दंपत्ती को चिंता थी कि उनके बाद वंश को आगे कौन बढ़ाएगा, इसलिए वह एक बेटा चाहते थे। कई डॉक्टरों से इलाज के बाद भी जब बेटा नहीं हुआ तो उन्होंने अपहरण की वारदात को अंजाम दिया। आरोपी ने कहानी सुनाई है कि वह मथुरा-वृंदावन गए थे। आगरा से वह मालवा एक्सप्रेस में सवार हुए थे। उनका ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं था, इसलिए वह खाली बर्थ देखकर ऊपर की सीट पर बैठ गए थे। यहीं मौका देखकर कोच में नीचे की बर्थ पर सो रही सुखवंती के पास लेटे दो माह के बेटे को उठाकर निकल गए थे।

अपनी ही कहानी में फंसा दंपति

बच्चे के अपहरण की खबर मिलते ही जीआरपी एक्टिव हो गई थी। पुलिस की खोजबीन की खबर मिलते ही दंपति काफी घबरा गयर। दंपति को लगा कि वह पकड़े जाएंगे। इसलिए वह खुद ही इंदौर जीआरपी थाने पहुंचे और बच्चा सौंप दिया। पुलिस ने जब एक दिन बाद आने का कारण पूछा तो कहानी सुनाई कि उनको ट्रेन में कुछ युवक मिले जो बच्चा जबरदस्ती मांग रहे थे। फिर वह ललितपुर में उतर गए और बस से भोपाल पहुंचे और यहां से कार से इंदौर पहुंचे। खुद को आईआईएम का ट्रेनर बताते हुए कहा कि वह ड्यूटी पर चला गया था, इसलिए एक दिन बाद बच्चा लेकर थाने पहुंचे। जब पुलिस ने बताए गए स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो पता चला कि कहानी झूठी है। इसके बाद जब आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आ गई।

मां को अभी तक नहीं मिला उनका बेटा

छतरपुर से उमेश अहिरवार अपनी पत्नी सुखवंती के साथ इंदौर पहुंच गए हैं, लेकिन अभी उनको बच्चा नहीं मिल सका है। इंदौर जीआरपी ने बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपा था। समिति का कार्यकाल पूरा हो चुका है, इसलिए अब कलेक्टर इस मामले में निर्णय लेंगे। वर्तमान में बच्चे को संजीवनी संस्था में रखा गया है।आशा है कि एक या दो दिन में बच्चा अपनी मां की गोद में पहुंच सकता है। डीएनए जांच हुई तो 15 दिन बाद मिल सकेगा बच्चा।

 

पुलिस की थ्योरी पर सवाल
बच्चे का अपहरण किया तो 48 घंटे बाद लौटाया क्यों
पुलिस जिस थ्योरी को बता रही है, उसमें सवाल यह उठ रहा है कि यदि दंपती ने 2 माह के बच्चे का अपहरण किया था तो घटना के 48 घंटे बाद इंदौर में जीआरपी थाना बच्चे को लेकर खुद क्यों पहुंचा? आरोपी ने बच्चे को ट्रेन में लावारिस हालत में मिलने की बात कही थी और ललितपुर में उतर गए थे। सीसीटीवी फुटेज में भी आरोपी परिवार सहित दिखा है। आरोपी ने जिस बस में सफर किया था उसके टिकट भी दिखाए। 48 घंटे बच्चे को आरोपी ने अपने पास क्यों रखा? इस बात की पुलिस गुत्थी अब तक नहीं सुलझा पायी है।