एक ही चिता पर हुआ पति – पत्नी का अंतिम संस्कार

झांसी। जिले के पूंछ थाना क्षेत्र में द्वारका ग्राम में अटूट प्रेम की दास्तां ने सभी को अभिभूत कर दिया। घर से एक साथ पति-पत्नी की अर्थी निकली और एक ही चिता पर पति-पत्नी का अंतिम संस्कार हुआ। पति-पत्नी के अटूट प्रेम की कहानी अमर हो गई।
पूंछ के द्वारका गांव के किसान रतीराम परिहार (74) और जानकी देवी (71) की शादी 1970 में हुई थी। दोनों एक-दूसरे से अटूट प्रेम करते थे। हंसते खिलखिलाते दाम्पत्य जीवन में 3 जनवरी 2023 को ग्रहण लग गया। दरअसल, रतीराम को अचानक लकवा मार गया। इसके बाद वो कभी चारपाई से नहीं उठ पाए। बीमारी के चलते जानकी का अपने पति से प्रेम कम नहीं हुआ। जानकी ही पति की तन-मन से सेवा करती थीं। खाना खिलाने से लेकर शौच क्रिया तक सब जानकी के ही जिम्मे था। लोग बीमार पति को देखने आते थे तो कहती थी कि भगवान पति के साथ हमें भी उठा लें। लगभग 20 माह से जानकी लगातार अपने पति की सेवा कर रही थीं।
मौत के बाद रोते हुए दम तोड़ा
बेटे विनोद परिहार ने बताया कि मेरे पिता रतीराम की हालत अब बहुत खराब हो गई थी। उन्होंने बोलना भी बंद कर दिया था। शुक्रवार रात करीब 8 बजे पिता की मौत हो गई। सब लोग रोने-बिलखने लगे। मां जानकी देवी भी रोने लगीं। कहने लगीं कि हे भगवान मुझे भी उठा लो। रोते-रोते मां जानकी एकदम बेसुध हो गईं। उनका मुंह बंद हो गया, जिसके बाद तुरंत उनको अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने मां को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव लेकर घर आ गए। रात को माता-पिता के शव घर में रखे रहे।
एक चिता पर अंतिम विदाई
शनिवार सुबह जिसने भी यह खबर सुनी, वो चौंक गया।परिजनों से लेकर रिश्तेदार और गांव के लोग जुट गए। सभी ने एक चिता पर अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। दोपहर में घर से एक साथ दोनों की अर्थी उठी। इसके बाद दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार भी किया गया। पूरे क्षेत्र में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है।
तीन बेटे और एक बेटी
पति-पत्नी की मौत के बाद पूरे गांव में दुःख का माहौल है। रतीराम और जानकी के 3 बेटे और एक बेटी हैं। सबसे बड़ी बेटी अनीता है। उसके बाद 3 बेटे विनोद, प्रमोद और प्रवीण हैं। विनोद घर पर ही रहकर किसानी करता था, जबकि बाकी दोनों बेटे बाहर रहकर नौकरी करते हैं। माता-पिता के साथ चले जाने से सभी उदास हैं।