झांसी। झांसी मंडल, उत्तर मध्य रेलवे, ने वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024- 250में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए 19 समपार फाटकों (लेवल क्रॉसिंग गेट्स) को इंटरलॉकिंग प्रणाली से जोड़ा है। यह कदम सड़क और रेल यातायात के बीच समन्वय को सुरक्षित बनाते हुए दुर्घटनाओं की संभावना को समाप्त करने और ट्रेन संचालन को अधिक कुशल बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
यह महत्वपूर्ण कार्य मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) श्री दीपक कुमार सिन्हा के मार्गदर्शन और वरिष्ठ मंडल सिग्नल एवं टेलीकॉम इंजीनियर / ब्रांच लाइन कु. रश्मि गौतम के नेतृत्व में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
झांसी मंडल में इंटरलॉक किए गए गेट्स:
1. LC-210 (पुखरायां-मलासा खंड)
2. LC-209 (पुखरायां-मलासा खंड)
3. LC-193 (उसरगांव-कालपी खंड)
4. LC-192 (उसरगांव-आटा खंड)
5. LC-491 (भरतकूप-शिवरामपुर खंड)
6. LC-141 (चिरगांव-नंद्खास खंड)
7. LC-190 (आटा-उसरगांव खंड)
8. LC-201 (चौंराह-पुखरायां खंड)
9. LC-496 (चित्रकूट धाम-शिवरामपुर खंड)
10. LC-3 (सिंहपुरडुमरा-खजुराहो खंड)
11. LC-S-43 (यमुना साउथ बैंक-हमीरपुर खंड)
12. LC-203 (चौंराह-पुखरायां खंड)
13. LC-421 (महोबा-चरखारी खंड)
14. LC-399 (डबरा-अनंतपेठ खंड)
15. LC-401 (अनंतपेठ-आंतरी खंड)
16. LC-370 (झांसी-करारी खंड)
17. LC-371 (झांसी-करारी खंड)
18. LC-382 (दतिया-सोनागिर खंड)
19. LC-385 (दतिया-सोनागिर खंड)
इंटरलॉकिंग के लाभ:
1. इंटरलॉकिंग सिस्टम स्वचालित रूप से सिग्नल और गेट के संचालन को समन्वित करता है, जिससे मैन्युअल गलतियों की संभावना कम होती है।
2. इंटरलॉक्ड गेट यह सुनिश्चित करता है कि गेट तब तक बंद रहे जब तक ट्रेन क्रॉसिंग से गुजर न जाए।
3. सिग्नल और गेट एक-दूसरे से इंटरलॉक रहते हैं, जिससे ट्रेनों और सड़क यातायात के बीच समन्वय सुरक्षित रहता है।
4. गेट सही समय पर बंद और खुलते हैं, जिससे सड़क और रेल यातायात के बीच बेहतर नियंत्रण और दुर्घटनाओं की संभावना समाप्त हो जाती है।
5. नॉन-इंटरलॉक्ड लेवल क्रॉसिंग गेट को इंटरलॉक्ड बनाना रेलवे की सुरक्षा, संचालन, और समग्र प्रदर्शन में एक बड़ा सुधार है।
यह पहल न केवल झांसी मंडल में रेल और सड़क यातायात की सुरक्षा को बढ़ाएगी, बल्कि रेलवे परिचालन को भी अधिक कुशल और समयबद्ध बनाएगी। झांसी मंडल रेलवे सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए भविष्य में भी ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता देगा।