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₹5 हजार मिला मेहनताना, प्रोफेसर बोलीं- मैं बीमार थी

नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में ऐसा अजब-गजब मामला सामने आया है जिसमें एक प्रोफेसर की लापरवाही ने छात्रों का भविष्य अंधकारमय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह मामला नर्मदापुरम जिले के पिपरिया स्थित शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से जुड़ा है। यहां परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किसी प्रोफेसर ने नहीं, बल्कि एक चपरासी ने किया। हैरानी यह है कि मात्र 5000 रुपए में चपरासी को कॉपियां जांचने का जिम्मा सौंप दिया गया, जिससे छात्रों के भविष्य को दांव पर लगा दिया गया। जब यह पूरा मामला कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हड़कंप मच गया। उच्च शिक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए और जिम्मेदार प्रोफेसर को सस्पेंड कर दिया गया है।

दरअसल यह मामला जनवरी 2025 का है, जब शासकीय शहीद भगत सिंह पीजी कॉलेज के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (चपरासी) पन्नालाल पठारिया का परीक्षा कॉपियों की जांच करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद छात्रों ने इस मामले की शिकायत स्थानीय विधायक ठाकुरदास नागवंशी को की और वीडियो भी सौंपे थे । इसके बाद यह मामला उच्च शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाया गया। विभाग ने इस पूरे मामले में एक जांच समिति का गठन किया।

समिति ने अब 3 अप्रैल को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी। जिसके बाद 4 अप्रैल को प्रभारी प्रिंसिपल और एक प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, चपरासी पन्नालाल पठारिया ने वास्तव में गेस्ट फैकल्टी खुशबू पगारे को दी गईं उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया था। पन्नालाल ने लिखित रूप में स्वीकार किया कि उसने कॉपियां जांचने के लिए 5000 रुपए लिए थे। वहीं, खुशबू पगारे ने अपनी सफाई में कहा कि उनकी तबीयत खराब थी, जिसके कारण उन्होंने कॉलेज के बुक लिफ्टर राकेश मेहर को 7000 रुपए देकर किसी और से कॉपियों का मूल्यांकन करवाने को कहा था‌। उधर, राकेश ने 5000 हजार रुपए में चपरासी पन्नालाल को कॉपी जांचने का काम सौंप दिया।

इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदारी तय करते हुए कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य राकेश कुमार वर्मा और प्रोफेसर रामगुलाम पटेल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही, कॉपियां जांचने वाले चपरासी पन्नालाल पठारिया और अतिथि विद्वान खुशबू पगारे के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं।