झांसी। एक ओर रेल मंत्रालय द्वारा पूरे देश में स्टेशनों, रेल परिसरों, कारखाना, शेड आदि में साफ-सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, किन्तु कतिपय अधिकारी व कर्मचारी रेल मंत्रालय की इस व्यवस्था पर पलीता लगा रहे हैं। हालात यह हैं कि साफ-सफाई के कार्य को वहीं पर प्राथमिकता से किया जा रहा है, जहां अधिकारियों का आवागमन होता है, बाकी अन्य स्थान भगवान भरोसे हैं और सफाई के मद में आने वाली धनराशि का बंदरबांट हो रहा है। इसका एक उदाहरण रेलवे डीजल लोको शेड परिसर में देखा जा सकता है। शेड में कुछ स्थान छोड़ दें तो बाकी में सफाई के नाम पर खानापूर्ति ही नजर आती है। शेड के मुख्य प्रवेश द्वार से लोको कार्यालय के लिए जाने वाले मार्ग पर पिछले दो दिन से एक गाय मरी पड़ी हुई है, किन्तु किसी अधिकारी व कर्मचारी ने इसे उठावने की जरूरत महसूस नहीं की। नतीजतन गाय से सड़ांध निकलने लगी है। इतना ही नहीं गाय का एक हिस्सा (मल द्वार) जानवरों ने भी नोच कर खा लिया है। सवाल यह उठता है कि प्रतिबंधित क्षेत्र मेंं गाय कैसे प्रवेश कर गयी। यह गाय किन परिस्थितियों के चलते मौत का शिकार हुई यह स्पष्ट नहीं है। सूत्रों का कहना है कि यदि इस गाय के शव को शीघ्र नहीं हटाया गया तो भीषण गर्मी में सड़ांध से कर्मचारी बीमार हो सकते हैं।