झांसी मंडल के बिजरौथा- जखौरा-दैलवारा खंड में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली शुरू
झांसी। महाप्रबंधक उमरे नरेश पाल सिंह के मार्गदर्शन तथा प्रधान मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार अभियंता सतेंद्र कुमार, मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार अभियंता (प्रोजेक्ट -।।) भोलेन्द्र सिंह एवं समस्त मुख्यालय की टीम के सक्रिय सहयोग से इस नई तकनीक से अब ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे कम दूरी पर भी सुरक्षित रूप से चलाई जा सकेंगी। इससे खंड की लाइन क्षमता बढ़ेगी और ट्रेनों की पंक्चुअलिटी में सुधार होगा। साथ ही इस तकनीक से ट्रेन संचालन के दौरान मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और अधिक सुनिश्चित हो सकेगी।
इस परियोजना के तहत कुल दो ब्लॉक सेक्शन एक ही दिन में चालू किए गए, जो कठिन भू-भाग में एक बड़ी उपलब्धि है। तीन प्रमुख स्टेशनों (बिजरौथा, जखौरा , दैलवारा) पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली को उन्नत किया गया, जिससे सिग्नल संचालन और अधिक सटीक एवं तेज़ हुआ है। इस खंड में 120 अत्याधुनिक ट्रैक डिटेक्शन उपकरण (MSDAC) लगाए गए हैं, जो ट्रेन की स्थिति का सटीक पता लगाते हैं और सिग्नलिंग को और अधिक भरोसेमंद बनाते हैं।
इसके अतिरिक्त तेरह सिग्नलों को अपग्रेड करके अब उन्हें चार पहलू वाला बनाया गया है, जिससे लोको पायलट को दूर से ही स्पष्ट संकेत मिलते हैं और ट्रेन की गति व नियंत्रण में सुधार होता है। इसके अलावा, इस खंड में स्थित नॉन इंटरलॉक समपार फाटक संख्या 338 एवं 333 को भी ABS (ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल) प्रणाली के अनुरूप इंटरलॉक किया गया है, जिससे फाटक पार करने वाले राहगीरों और सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और बेहतर हो गई है।
इस वित्तीय वर्ष में अभी तक कुल 9 ब्लॉक सेक्शन चालू किए गए जा चुके हैं । सिथौली से बिरलानगर, बानमोर से मुरेना तक नवंबर 2025 में, मुरैना-सिकरोदा-हेतमपुर सेक्शन दिसंबर 2025 में, दैलवारा-ललितपुर-जीरोन सेक्शन ललितपुर यार्ड रीमॉडलिंग सहित, जो झाँसी की निर्माण इकाई द्वारा की जा रही है, दिसंबर में पूरी करने की योजना है। कुल स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग उपलब्धि 73.18 केएम | यह पहल न केवल रेल संरक्षा को सशक्त करती है बल्कि यात्रियों को अधिक समयबद्ध, सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।