जीआरपी व एनजीओ के सेवादार की सूझबूझ से बिछड़ी बुजुर्ग मां मिली बेटे से

झांसी। रविवार को जीआरपी मऊरानीपुर व एनजीओ के सेवादार की सूझबूझ से दस दिन से बिछड़ी मां-बेटे की भावुक मुलाकात हुई। एक-दूसरे को देखते ही मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े और उन्होंने रेलवे पुलिस का आभार प्रकट किया।

दरअसल, बुजुर्ग महिला गलती से गलत ट्रेन में बैठकर मऊरानीपुर पहुंच गई थीं और हिंदी या स्थानीय भाषा न जानने के कारण किसी को अपनी बात समझा नहीं पा रही थीं। जीआरपी मऊरानीपुर प्रभारी ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर करीब 65 वर्षीय महिला गुमसुम हालत में बैठी मिलीं। वह न तो अपना नाम बता पा रही थीं और न ही घर का पता। इस पर जीआरपी के हेड कांस्टेबल सुनील कुमार सिंह एवं प्रदीप कुमार सिंह ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए सोशल मीडिया और आसपास के लोगों की मदद से उनकी पहचान की कोशिश शुरू की। भाषा की बाधा सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन हेड कांस्टेबल सुनील कुमार सिंह ने अपनी समझदारी से महिला के बोले गए शब्दों का हिंदी रूपांतरण किया और सुराग मिलाने में सफलता पाई। इसी दौरान प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर स्थित कैंटीन संचालक अजय कुशवाहा ने सोशल मीडिया ग्रुप में आई एक फोटो दिखाई, जिससे मामला स्पष्ट हो गया।

जांच में पता चला कि बुजुर्ग महिला का नाम सिलवंती बाई मोरे पत्नी काशीनाथ मोरे, उम्र करीब 65 वर्ष, निवासी कलाही परगा, थाना अक्कलकोट, जिला सोलापुर (महाराष्ट्र) है। वह 10 अक्टूबर को अपने घर से पुणे जाने के लिए निकली थीं, लेकिन गलती से गलत ट्रेन में बैठने के कारण मऊरानीपुर पहुंच गईं। उनके पुत्र विनोद मोरे अपनी मां की लगातार खोज कर रहे थे। इस बीच, एनजीओ “अपना घर आश्रम शिवपुरी” के सेवादार हरिमोहन ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से मां-बेटे को मिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हीं की जानकारी और प्रयास से जीआरपी मऊरानीपुर को महिला के परिजनों तक पहुंचने में सफलता मिली।

जीआरपी ने वीडियो कॉल के माध्यम से सिलवंती बाई की पहचान उनके पुत्र विनोद से कराई। मां-बेटे की भावुक पहचान होते ही विनोद की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पुलिस ने महिला को सुरक्षित उसके बेटे के सुपुर्द कर दिया। विनोद ने जीआरपी मऊरानीपुर, थाना महोबा जीआरपी टीम और सेवादार हरिमोहन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “मां के बिछड़ने के बाद मैं टूट चुका था, लेकिन पुलिस और समाजसेवियों की मदद से आज मेरी मां मुझे वापस मिल गई।”

मां-बेटे ने जीआरपी को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। वहीं, बुजुर्ग महिला ने पुलिस कर्मियों को दोनों हाथों से आशीर्वाद दिया, जिससे उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।