• झांसी में होगा कला, साहित्य, इतिहास, संस्कृति, संगीत, सिनेमा व अन्य विधाओं का संगम
  • पहला बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव 28 फरवरी से होगा शुरू
    झांसी। बुन्देलखण्ड का हृदय व वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की कर्म भूमि झांसी अब साहित्य के मानचित्र में अपनी अलग पहचान बनाने जा रही है। राष्ट्र कवि मैथलीशरण गुप्त व डॉ. वृन्दालाल वर्मा की कलम की साक्षी एवं मैत्रयी पुष्पा के साहित्य से सिंचित झांसी में 28 फरवरी से 1 मार्च तक ‘बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव-2020Ó का आयोजन हिन्दी विभाग बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी एवं बुन्देलखण्ड लिटरेचर फेस्टिवल सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में क्राफ्ट मेला ग्राउंड में किया जा रहा है।
    इस अवसर पर जेडीए उपाध्यक्ष सर्वेश दीक्षित व संयोजक डॉ. पुनीत बिसारिया ने आयोजन के उददेश्य पर प्रकाश डाला। संयोजक ने बताया कि इस आयोजन के पीछे का उदेश्य बुन्देलखण्ड कि संस्कृति को विस्तार देने एवं जन मानस में इसके प्रति उदासीनता को दूर करना है। साहित्य पर केंद्रित इस महोत्सव में अन्य विधाओं को भी समय देने का प्रयास किया गया है। बुन्देली साहित्य के विशेष संदर्भ में भाषा, इतिहास, ललित कला, सिनेमा, स्त्री विमर्श, सोशल मीडिया, वेब मीडिया आदि विषयों पर परिचर्चा आयोजित की जायेगी। इसमें झांसी और अन्य क्षेत्र के नामचीन साहित्यकारों से संवाद करने के साथ ही उनसे मिलने का मौका मिलेगा। कई बेस्ट सेलर लेखकों ने आने की सहमति प्रदान की है। आयोजन समिति की वरिष्ठ सदस्य व महोत्सव की प्रतियोगिताओं की संयोजक डॉ. नीति शास्त्री ने बताया कि यह आयोजन बुन्देलखण्ड की कला, संस्कृति, इतिहास, नाटक, संगीत, व्यंजन, खेल आदि को प्रोत्साहित व स्थापित करने हेतु अनुठी पहल है। इस अवसर पर बुन्देलखण्ड को जानो, मेंहदी, रंगोली, बुन्देली संस्कृति पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता, बुन्देली परिधान आधारित बेबी शो एवं वधु स’जा के साथ ही पहली बार महिलाओं के लिये रस्सी कूद जैसी अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी। सांस्कृतिक समन्वयक डॉ. रेखा लगरखा ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शास्त्रीय कथक नृत्य, बरेदी लोक नृत्य, राई लोक नृत्य, फोक ऑरकेस्ट्रा, कछियाई लोक गीत एवं लोक नृत्य, हरदौल नाटक, ढिमरयाई, गोटे, स्वांग टेसु मामुलिया की प्रस्तुतियां की जाएंगी। आयोजन सचिव चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया की क्राफ्ट मेला ग्राउंड में कई विभागों, कंपनियों व हस्त शिल्पियों के स्टाल, फुड कोर्ट, मिक हाउस, जम्पिंग जैक, लैदर वर्क आदि के अनेक स्टाल भी लगाये जांयेगे। बुन्देलखण्ड के किसानों के लिये किसान गोष्ठी के साथ ही समकालीन साहित्य, कला, संस्कृति एवं मीडिया: चुनौतियां व संभावनाएं विषय पर सेमिनार होगी। इस अवसर पर डॉ. धन्नुलाल गौतम, वरिष्ठ साहित्यकार मुकुंद मेहरोत्रा, सी.पी, तिवारी, योगीता यादव, प्रो प्रतीक अग्रवाल, डॉ. डी.के. भट्ट, डॉ कौशल त्रिपाठी, इं राजकुमार सिंह, राम कुटार, अतुल दीक्षित, श्रीहरि त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।