निजी चिकित्सालय ने बचाई व्यापारी की जान

झांसी। जिला राजकीय चिकित्सालय के इमरजेंसी विभाग में सीने के दर्द से बेहाल सर्राफा व्यापारी न तो सही दवा मिली और न ही इलाज। मिली तो सिर्फ दुत्कार। सर्राफ ने तत्काल निजी चिकित्सालय की शरण लेेकर जान बचाई। इस मामले में शिकायत करते हुए
व्यापारी का कहना है कि अगर समय रहते निजी चिकित्सक से परामर्श न किया जाता तो व्यापारी की जान भी जा सकती थी।
सर्राफा बाजार के एक व्यापारी को रविवार की सुबह 5 बजे अचानक सीने में दर्द महसूस हुआ,अचानक जब दर्द असहनीय हो गया तो व्यापारी के परिजन उसे जिला चिकित्सालय झाँसी ले गए जहां पर डयूटी डॉक्टर ने उसे गैस का दर्द मानकर गैस की दवाई देकर चलता करने की सोची, लेकिन व्यापारी को हार्ट अटैक की संभावना लग रही थी। आरोप है कि इसकी जानकारी देने पर डॉक्टर कुछ भी सुनने को तैयार न थे क्योंकि उनकी नींद में खलल पड़ रहा था।
रोते-बिलखते परिजनों ने ई.सी.जी. करने की गुहार लगाई तो डॉक्टर ने ई.सी.जी. भी नहीं की और सिर्फ गैस की दवा देकर चलता कर दिया। हालत बिगड़ते देख कर परिजनों ने तुरन्त निजी चिकित्सालय जाने का मन बनाया एवं एक निजी चिकित्सालय में व्यापारी को भर्ती किया।
निजी अस्पताल पहुंचने पर तुरन्त डॉक्टर और अन्य सहयोगियों ने मरीज को देखा तो उसकी हालत चिन्ताजनक बनी हुई थी। डॉक्टर ने तुरंत उपचार देते हुए ई.सी.जी. की तो पता चला कि अगर और थोड़ी देर हो जाती तो शायद वह व्यापारी न बच पाता। निजी चिकित्सक के अथक प्रयास के बाद व्यापारी की हालत में सुधार हुआ। आज मरीज की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। पीड़ित ने इस मामले में जांच कर दोषी
पर कार्रवाई की जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो। सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों रुपए प्रतिमाह खर्च करने के बाद भी डॉक्टर उचित इलाज क्यों नहीं करते? इस पर रोक लगना चाहिए।