त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में कार्यकर्ता ही लड़ेगा चुनाव

झांसी।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री अशोक जाटव नेे दावा किया कि केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि बिलों के विरोध में धरने पर बैठे किसान नहीं शाहीन बाग की तरह किराए के टट्टू हैं। हमारा किसान तो अपने गांवों में खेतों पर अपने काम में व्यस्त है।श्री जाटव जापान भाजपा कार्यालय में अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति(पीएमएस-एससी) की जानकारी दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस बात को सभी जानते हैं कि जो लोग किसान कृषि बिल का विरोध कर रहे हैं वे कौन हैं। देश में लोकतंत्र है इसलिए हम उन्हें न तो हटाएंगे और न ही किसी प्रकार की प्रतिक्रिया करेंगे। यहां कोई हिटलरशाही नहीं है कि उन्हें अपनी बात भी न कहने दी जाए लेकिन यह तय है कि वे किसान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में ही प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों बिल बनवाए हैं। उन्होंने बताया कि महज भ्रम है कि मण्डियां खत्म कर दी जाएगीं, न ही कोई एमएसपी का मामला है। बस इसे राजनैतिक रुप दिया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में कार्यकर्ता ही लड़ेगा चुनाव। कार्यकर्ता पूरी तरह से मुस्तैद है। रणनीति तैयार कर ली गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लाॅक प्रमुख और ग्राम पंचायत प्रधान तक भारतीय जनता पार्टी का होगा। हालांकि उन्होंने एमएलसी स्नातक चुनाव में कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए विरोध के दौरान पुलिस के साथ हुई धक्का मुक्की को झूठी घटना करार दे दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं है। लिखे गए मुकदमे को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया कहा कि इसे खत्म कराया जाएगा।

इससे पूर्व उन्होंने बताया कि अगले पांच वर्षों में करीब 5 करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति(पीएमएस-एससी) को अनुमोदित किया गया है। ताकि छात्रों को उच्चतर शिक्षा का लाभ मिल सके। मंत्रिमंडल ने 59048 करोड़ रुपए के कुल निवेश को अनुमोदन प्रदान किया है। जिसमें से कुल राशि का 60 प्रतिशत 35534 करोड़ रुपए केंद्र सरकार खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी। यह स्कीम मौजूदा प्रतिबद्धता प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी और इस महत्वपूर्ण स्कीम में केंद्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी। गरीब से गरीब परिवारों के दसवीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को अपनी इच्छा अनुसार उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों में नामित करने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा। अनुमान है कि 1.36 करोड़ ऐसे सबसे गरीब छात्र जो वर्तमान में दसवीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं उनको अगले 5 वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह स्कीम सुदृण सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर संचालित की जा सकेगी जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही,कार्य क्षमता तथा बिना विलंब के समयबद्ध रुप से सहायता सुनिश्चित होगी। राज्य पात्रता,जातिगत स्थिति, आधार पहचान तथा बैंक खाता के ब्यौरे की ऑनलाइन पोर्टल पर अभेद्ध जांच करेंगे।

इस स्कीम के अंतर्गत छात्रों को वित्तीय सहायता का आहरण डीबीटी मोड के माध्यम से और अधिमान्यता आधार सबल भुगतान प्रणाली को उपयोग में लाकर किया जाएगा। वर्ष 2021 22 से प्रारंभ करते हुए इस स्कीम में केंद्र का अंश 60 प्रतिशत निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों के बैंक खातों में डीवीटी मोड के माध्यम से सीधे जारी किया जाएगा। निगरानी तंत्र को और सुधारा जाएगा और सोशल ऑडिट तीसरे पक्ष द्वारा वार्षिक मूल्यांकन करा कर और प्रत्येक संस्थान की अर्धवार्षिक स्वतः लेखा परीक्षित रिपोर्टों के माध्यम से किया जाएगा।

पांच गुना से अधिक बढ़ाई गई केन्द्रीय सहायता
केंद्रीय सहायता जो वर्ष 20 17-18 से वर्ष 2019-20 के द्वारा लगभग 11 सौ करोड़ रुपए प्रति वर्ष थी। उसे वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान 5 गुना से अधिक बढ़ाकर लगभग 6000 करोड़ प्रति वर्ष किया जाएगा। राज्य सरकारें बड़ी संख्या में एससी छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए इस कार्य नीति को कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भागीदार होंगे। इस दौरान भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश मिश्रा, विधायक बिहारी लाल आर्य, संतोष सोनी, अमित सोनी, अंकुर दीक्षित सहित अन्य भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।