– घंंटों से तड़प रहे पत्रकार को डीएम केे हस्तक्षेप पर नर्सिंगहोम ने किया भर्ती 

झांसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल ही में निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था नहीं होने पर निजी अस्पताल मरीजों को भर्ती करने से इंकार नहीं करेंगे। उनका खर्च भी सरकार वहन करेगी।दावे तो यह भी किये जा रहे है कि व्यवस्थाएं दुरुस्त है, लेकिन हकीकत क्या है यह तो मरीज और उनके तीमारदार/परिजनों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता।हालात क्या है, सामने आ रहे हैं।
दैनिक राष्ट्रीय सहारा के वरिष्ठ पत्रकार हरनारायण यादव को विगत दिवस निर्मल हास्पीटल में भर्ती कराया गया था, जिन्हें वेंटीलेटर की सख्त जरूरत थी। इस सम्बन्ध में जनप्रतिनिधियों, जिलाधिकारी आदि को अवगत कराये जाने के बाद भी उनके लिए वेंटीलेटर की व्यवस्था नहीं हो सकी । कुछ घंटे बाद जिलाधिकारी द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए तीन निजी चिकित्सालयो में से किसी एक में भर्ती के लिए कहे जाने पर जब परिजन मेडिकल कॉलेज के निकट बताये गये एक निजी अस्पताल में पहुंचे जहां काफी इंतजार के बाद मरीज को लाने के लिए कहा गया। श्री यादव के परिजन जब उन्हें डिस्चार्ज कराकर उक्त अस्पताल पहुंचे तो बताया गया कि वह कुछ देर से आये और अब पलंग उपलब्ध नहीं है। जबकि काफी इंतजार के बाद कहे जाने के बाद ही परिजनों द्वारा डिस्चार्ज कराकर लाया गया था। जब वह जिलाधिकारी द्वारा बताए दूसरे निजी अस्पताल में पहुंचे तो वहां यह कहकर चलता कर दिया गया कि वेंटीलेटर सही नहीं है। इस तरह अधर में लटके परिवार जनों के होश उड़ गए, उन्होंने फिर पत्रकारों को अवगत कराया, एक बार फिर जिलाधिकारी को मामले से अवगत कराया गया कि उनके आदेश के बाद भी व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण अब मरीज़ पहले से भी खतरनाक स्थिति में है। जिस पर जिलाधिकारी ने पुनः मामले की जानकारी लेते हुए निर्देश दिए तब कहीं जाकर अस्पताल प्रशासन द्वारा श्री यादव को पलंग उपलब्ध कराते हुए अन्य व्यवस्थाएं की गईं। अब सवाल यह उठता है कि दिन रात दूसरों की समस्यायों को उजागर करने में लगे रहने वाले मीडिया कर्मियों को ही अपने स्वयं के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ी तो गरीब, असहायो का तो भगवान ही मालिक है। क्योंकि देर रात से दोपहर तक पत्रकार बंधुओं के अथक प्रयास से ही व्यवस्था हो सकी। जबकि प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल ही में निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी में पलंग उपलब्ध नहीं होने पर निजी अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराया जाये, जिनका खर्च भी सरकार वहन करेगी।