विधायकों ने लगाए प्रशासन पर गम्भीर आरोप, कठघरे में खड़ा किया

झांसी। कोरोना काल में चिकित्सा सेवाओं की ज़मीनी हकीकत का जायजा लेने झांसी आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भले ही सब कुछ ठीक-ठाक लगा हो, किंतु सदर विधायक रवि शर्मा व बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा के खेतों में उभरे दर्द ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है।

बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा ने मुख्यमंत्री को दिये पत्र में प्रशासन की लापरवाही का चिट्ठा खोलते हुए तमाम आरोप लगाए। उन्होंने प्रशासन पर रेमडीसीविर इंजेक्शन जरूरतमंदों को जानबूझकर न देने तक का गम्भीर आरोप लगा डाला। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में सरकार द्वारा मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये गए। इसी का जायजा लेने जब वह मेडिकल कालेज गए तो बताया गया कि प्रशासन द्वारा रेमडीसीविर इंजेक्शन जानबूझकर मरीजों को उपलब्ध नहीं कराए गए अथवा जो उच्चाधिकारियों के संपर्क में थे, उन्हें ही इंजेक्शन मिल सका। विधायक ने कहा कि प्रशासन की नाक के नीचे जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी हुई और मरीजों के तीमारदारों से मोटी रकम वसूल की गई। विधायक ने कहा कि इस बारे में उन्होंने प्रशासन के आला अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। नर्सिंग होम्स में भी सरकार के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए मरीजों से जमकर वसूली की गई। इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग मुख्यमंत्री से विधायक द्वारा की गई।

वहीं सदर विधायक रवि शर्मा ने पत्र में डॉक्टर्स से विवाद व व्यापारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग मुख्यमंत्री से की। मुख्यमंत्री को सौपे पत्र में कहा कि कोरोना काल में परिजनों को खोने पर इलाज में लापरवाही के आरोप में डॉक्टर्स व परिजनों में विवाद हुए। इन मामलों में मुकदमे दर्जकर परिजनों को जेल भेज दिया गया, जो अभी भी जेल में हैं। विधायक ने कहा अपनों के जाने पर यह आक्रोश स्वभाविक है, न कि आपराधिक। वहीं कोरोना काल में कुछ व्यापारियों व सामान्य लोगों पर भी मुकदमें दर्ज हुए हैं। विधायक ने मुख्यमंत्री से परिजनों व व्यापारियों आदि पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का अनुरोध किया। अब देखना यह है कि इन खातों के मजनून का कितना असर होता है। लोगों का कहना था कि यदि पाती की अपेक्षा सामने शिकायत की गई होती तो शायद बात कुछ और होती।