– राज्यसभा में बहुमत न होना पृथक राज्य निर्माण में बाधा

– छोटे राज्यों का समर्थक झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी मुंह फेरा

– चुनाव नहीं लडूंगा, बुंदेलखंड राज्य के लिए लड़ता रहूंगा

झांसी। बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला ने पृथक बुंदेलखंड राज्य के निर्माण के मुद्दे पर साफ कहा कि राज्य पुनर्गठन आयोग का अब कोई औचित्य नहीं है। बुंदेलखंड राज्य को लेकर चल रही चर्चाओं में प्रयागराज को जोड़े जाने के कयास निराधार हैं।

झांसी दौरे पर आए राजा बुंदेला ने सर्किट हाउस में मीडिया के सामने बुंदेलखंड राज्य के मुद्दे पर जम कर बेवाकी से बोले। उन्होंने जहां स्पष्ट रूप से पृथक बुंदेलखंड राज्य के जहां राज्य पुनर्गठन आयोग के औचित्य को नकारते हुए इसे मुद्दे को लटकाने वला बताया वहीं बुंदेलखंड राज्य में प्रयागराज को जोड़े जाने के कयासों को उन्होंने निराधार तो बताया ही साथ ही तल्खी से कहा कि ऐसी किसी कोशिश का वे विरोध करेंगे। इस मसले पर उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र भी लिखा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के स्तर पर ऐसी कोई चर्चा नहीं है। प्रयागराज वाली चर्चाएं मीडिया की या किसी के अपने मन की उपज है। राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि यदि प्रयागराज को बुंदेलखण्ड की राजधानी बनाई जाती है तो विनाश होगा, यह बुन्देलखंड के साथ न्याय नहीं होगा।

उन्होंने फ़िर दोहराया कि वह दमोह से दतिया होते हुए चित्रकूट वाले बुन्देलखंड की बात करते हैं और वही लेंगे भी। किसी भी तरह से प्रयागराज को राजधानी नहीं बनने देंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रतापगढ़, कौशाम्बी, कानपुर देहात से उन्हें कोई लेना देना है। बुन्देलों का अखण्ड बुन्देलखंड है टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दतिया, दमोह, सागर और इधर के सात जिले। हालांकि उन्होंने जोड़ा आठवां जिला फतेहपुर हो सकता है क्योंकि फतेहपुर हमारे नजदीक है।

राजा ने बताया कि बुंदेलखंड, विदर्भ और पूर्वांचल राज्य बनना है और इस पर सहमति बहुत पहले हो चुकी है, किंतु राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं होने से रोड़ा आटका है। इस प्रस्ताव को राज्यसभा में पास किये बिना सम्भावना नहीं है। जो भाजपा के साथी थे शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल किसी कारणवश छोड़कर चले गए, ममता बनर्जी, वामदल, तेजस्वी यादव और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे दल भी छोटे राज्यों का विरोध कर रहे हैं जबकि कल तक झारखंड मुक्ति मोर्चा छोटे राज्यों के समर्थन में हमारे साथ था। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव कभी नहीं लडूंगा पर बुंदेलखंड राज्य के लिए संघर्ष करता रहूंगा। बुंदेलखंड के लिए ही वह भाजपा में शामिल हुए हैं और अंतिम सांस तक संघर्ष जारी रहेगा। इस दौरान पुष्पेन्द्र सिंह भी मौजूद रहे।