किसी भी देश में वहां की सभ्यता एवं सांस्कृतिक विरासत उस देश की गरिमा को बढ़ाती है। हमारे सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्मारक जो आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया या राज्य की सूची में दर्ज हैं वह तो संरक्षित होते हैं परंतु बुंदेलखंड क्षेत्र में अनेक ऐसी इमारतें, भवन, मीनार, झील, पहाड़ियां हैं जो किसी शासकीय योजना से संरक्षित नहीं है ऐसी धरोहर को संरक्षित करने के लिए स्थानीय स्तर पर पहल करने की आवश्यकता है।
उक्त बातें आज मंडलायुक्त डॉ अजय शंकर पांडेय ने पर्यटन एवं ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण हेतु गठित की समिति की प्रथम बैठक में कहीं। उन्होंने इस बैठक का आयोजन किसी बंद कमरे में नहीं कर झांसी नगर के समीप स्थित दिगारा पहाड़ी पर जाकर किया। यह ऐसी पहली बैठक है जो मौके पर जाकर की गई।
आयुक्त ने बताया कि झांसी मंडल ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही समृद्ध है परंतु लंबे समय से अनेक इमारतों को संरक्षण ना मिलने के कारण विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं। ऐसे सभी स्थलों को स्थानीय व्यक्तियों, उद्यमियों, व्यवसायिक संस्थानों के सहयोग से गोद लेकर इन्हें संरक्षित किया जाएगा। दिगारा पहाड़ी पर बैठक के दौरान पहाड़ी के आसपास चिन्हित स्थान को रेखांकित करते हुए उसके सौंदर्यकरण की बात कही। उन्होंने आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता स्टीमेट बनाने के निर्देश दिए। जो व्यक्ति ऐसी इमारतों को गोद लेगा उनका नाम ऐसे स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा।
मंडलायुक्त झांसी ने अडॉप्ट हेरिटेज अभियान चलाकर ऐसे धरोहर स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं के विकास एवं रखरखाव के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए निर्देश दिए। मंडलायुक्त ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (एफ) में स्पष्ट कहा गया है कि अपनी समग्र संस्कृति की समृद्ध धरोहर का सम्मान करना और इसे संरक्षित रखना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि अडॉप्ट हेरिटेज अभियान का मूल उद्देश्य स्मारकों के रखरखाव पर केंद्रित होगा। कदम कदम पर बुंदेलखंडी सभ्यता एवं सांस्कृतिक गरिमा के महत्व को देखते हुए इस अभियान को केवल एक स्थल तक सीमित नहीं रखा जाएगा बल्कि मंडल के तीनों जनपदों के सारे ऐसे स्थलों को खोजा जा रहा है जो किसी विभाग द्वारा संरक्षित नहीं है। मंडलायुक्त ने कहा कि हमारा प्रयास है कि ऐसे सभी स्थल इस रूप में विकसित अवश्य हो ताकि अगली पीढ़ी हमारे इतिहास से परिचित हो सकें। स्थानीय ग्राम पंचायतों से इस दिशा में कार्य करने के लिए भी कहा जा रहा है.
इस बैठक में पुरातत्व अधिकारी एसके दुबे, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के डॉ संजय, सहायक अभियंता शरद कुमार, मंडलीय परियोजना प्रबंधक एनएचएम आनंद चौबे आदि उपस्थित रहे।
यह कार्य किए जाएंगे-
1. बुंदेलखंड (झांसी मंडल) की सभ्यता एवं सांस्कृतिक गरिमा के ऐतिहासिक स्थलों को मंडल के तीनों जनपदों में खोजा जाएगा.
2. स्मारकों को चिन्हित करने का अभियान चलेगा
3. चिन्हित होने के उपरांत उन्हें अडॉप्ट करने के लिए लोगों की सूची तैयार की जाएगी
4. आवास विकास परिषद के माध्यम से स्थलों की मरम्मत एवं अनुरक्षण के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे तत्पश्चात मानक के अनुसार मरम्मत कराई जाएगी
5. मरम्मत के उपरांत पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उस स्थल पर एक आयोजन किया जाएगा जिससे लोग उस स्थान के ऐतिहासिक महत्व को समझ सके
6. चिन्हित स्थानों के इतिहास की जानकारी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय व इतिहासकार उपलब्ध कराएंगे।