– सुरक्षा एजेंसियों को नहीं लगी खबर, अब आरपीएफ व कामर्शियल विभाग कार्रवाई में जुटा

– प्लेटफार्म पर लगे सीसी टीवी कैमरों के फुटेज खंगालेंगे

झांसी। उमरे के झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर “वीरांगना लक्ष्मीबाई” क्या हुआ विरोध शुरू हो गया। झांसी के लगभग सभी वर्गों में स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई करने का विरोध नहीं है, किंतु “झांसी” हटाने का विरोध है। वीरांगना लक्ष्मीबाई के साथ झांसी लिखने को लेकर ज्ञापन, हस्ताक्षर अभियान व पत्राचार शुरू हो गया है, किंतु इस सबसे अलग रविवार को अपरान्ह कांग्रेसियों के साथ पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने स्टेशन पहुंच कर प्लेटफार्म नंबर एक पर दिल्ली ऐंड पर पत्थर के सूचना पटल पर वीरांगना लक्ष्मीबाई के बाद काले रंग से ‘झांसी’ लिख दिया। आश्चर्यजनक रहा कि इस सबकी भनक सुरक्षा एजेंसियों को नहीं लग सकीं। कांग्रेसी बड़े आराम से पटल पर झांसी लिख प्रदर्शन कर व मीडिया को संबोधित कर चले गए। अब ‘सांप निकल गया लकीर पीटने’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए आरपीएफ व कामर्शियल विभाग इसे संज्ञान में लेकर कार्रवाई करने में जुट गया है। इसके तहत प्लेटफार्म पर लगे सीसी टीवी कैमरों के फुटेज खंगाले जा रहे हैं।

इस दौरान पटल पर काले पेंट से झांसी लिखते हुए कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम के साथ झांसी नहीं जोड़ा जाता। इस दौरान काफी देर तक कांग्रेसी नेता स्टेशन पर मौजूद रहे और सरकार के निर्णय के खिलाफ नारेबाजी की।

झांसी और रानी के नाम को अलग नहीं होने दिया जाएगा : प्रदीप जैन
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि झांसी और रानी के नाम को अलग नहीं होने दिया जाएगा। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ने अपनी झांसी नहीं दूंगी कहते हुए झांसी के लिए कुर्बानी दे दी। उन्होंने आरोप लगाया कि जो अंग्रेज नहीं कर पाए वह मोदी जी ने करके दिखा दिया। हम नाम बदलने की प्रक्रिया का कड़ा विरोध करते हैं और शिलालेख में झांसी जोड़ रहे हैं यदि इसे मिटाया जाएगा तो हम जनमानस के साथ आकर बार-बार झांसी के नाम को वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम के साथ जोड़ेंगे! झांसी वासियों की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी ,यदि मोदी जी और योगी जी को महारानी लक्ष्मी बाई के सम्मान में कुछ करना चाहते हैं तो उनकी तलवार को झांसी संग्रहालय में लेकर आएं!
महानगर अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने कहा कि मौजूदा सरकार के पास नाम बदलने के अलावा कोई दूसरा कार्य नहीं बचा झांसी का नाम बदलकर उन्होंने जन भावना के साथ खिलवाड़ की है क्योंकि झांसी एक ऐसा नाम है जिसे हर व्यक्ति महारानी लक्ष्मी बाई के नाम से जोड़कर देखता है और झांसी नाम देखते ही उसके जेहन में महारानी लक्ष्मीबाई का उद्घोष याद आ जाता है मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी! प्रदेश महासचिव राहुल रिछारिया ने कहा की झांसी का नाम बदलकर सरकार ने अंग्रेजी सल्तनत की याद दिला दी लेकिन हम इस नाम को नहीं बदलने देंगे!
उक्त अवसर पर राजेंद्र रेजा, गौरव जैन, मनीराम कुशवाहा, राम कुमार शुक्ला, इम्तियाज हुसैन अफजाल हुसैन ,सुनील तिवारी, प्रिंस कटियार,शिरोमणि जैन सफीक अहमद मुन्ना, देशराज रिछारिया, वीरेंद्र कुशवाहा, आर एस पटेरिया, युवराज सिंह यादव, अफसर खान आरिफ सलीम, समीर, सोहेल, मनीष रायकवार, कुतुबुद्दीन सिद्धकी, अनिल वर्मा आदि उपस्थित रहे!