– मण्डलायुक्त की सख्ती से जल संस्थान को तत्काल  18.50 लाख एवं पूरे वर्ष में करोड़ो रूपयों की बचत होगी

झांसी। मण्डलायुक्त, झांसी डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय ने जल संस्थान की कायर्प्रणाली को सुधारने की मुहिम छेड़ रखी है। मण्डलायुक्त ने जल संस्थान को स्पष्ट निर्देश दे रखे थे कि भविष्य में जो भी निविदायें जल संस्थान द्वारा आमंत्रित की जायें उसमें खुली प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किया जाये। साथ ही कमीशन मुक्त आपूर्ति कर एक कड़ा संदेश निविदादाताओं को दिया जाये। मण्डलायुक्त की इस सख्ती और पारदशिर्तापूर्ण कायर्प्रणाली की वजह से काफी गहरा असर दिखायी दे रहा है। इसी कड़ी में इलैक्ट्रानिक डोजर की दरों में 28 प्रतिशत की कमी आ गई है।
ज्ञातव्य है कि झाँसी डिवीजन जल संस्थान, झाँसी की तीनों जनपदों में जलापूर्ति सुचारू व्यवस्था हेतु इलैक्ट्रानिक डोजर के क्रय हेतु ई-निविदायें आमंत्रित की गई थीं। प्रायः यह देखा गया है कि सामग्री की आपूर्ति लेने में अधिकृत विक्रेता की शर्त लगाने से कुछ सीमित फर्मो के बीच ही प्रतिस्पर्धा होती है तथा इन सीमित फर्मो द्वारा पूल बनाकर निविदा में सामग्री की दरों को मनमाने तरीके से डाला जाता है। जल संस्थान द्वारा इलैक्ट्रानिक डोजर की आपूर्ति लेने में उक्त प्रतिबन्ध को हटा दिया गया था जिससे प्रतिस्पर्धा होने के कारण इलैक्ट्रानिक डोजर की दरें काफी कम प्राप्त हुई हैं। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त निविदा प्रक्रिया में कुल 4 फर्मो द्वारा प्रतिभाग किया गया है। जल संस्थान झाँसी में वर्ष 2016 की दरों का तुलनात्मक विवरण निम्नवत है:-

Supply and Installation of Electronic Doser Electronic Dosing pump with working pressure up to 4kg/cm2 along with 200 ltrs. PVC capcity solution tank with NRV, suction Strainer Tubing & standard accesories with one year on site comosite warrant (Material + Labour) जल संस्थान झाँसी की पूर्व दरें वर्ष 2016- 32750.00,  वतर्मान जल संस्थान, झाँसी की दरें ई-निविदा की एल-1 दरें वर्ष (11/2021) – 23500.00

महाप्रबन्धक जल संस्थान द्वारा बताया गया कि इलैक्ट्रानिक डोजर की खुली निविदा होने की वजह से प्रति डोजर रू 9,250.00 की बचत जल संस्थान को हुई है। इनके द्वारा यह भी बताया गया कि इस वर्ष लगभग 200 डोजर क्रय किये जाने हैं जिस पर जल संस्थान को इस वर्ष लगभग रू 18,50,000.00 की तत्काल बचत होगी। भविष्य में भी यदि डोजर बदले जायेगें तो यह लाभ लगभग 1.50 करोड़ रूपये तक पहुॅच जायेगा।
इसके पूर्व भी मण्डलायुक्त की पहल एवं सख्ती की वजह से ठेकेदारों की जो देनदारियां जलसंस्थान पर 24 करोड़ रू0 बतायी जा रही थीं, वह घटकर लगभग 05 करोड़ के आस-पास पहुंच गयीं हैं। यदि मण्डलायुक्त द्वारा सख्ती न की जाती तो 19 करोड़ रू का चूना झाॅसी डिवीजन जलसंस्थान को लगना तय था।
2- तीसरी बड़ी कायर्वाही में सबसे पहले ब्लीचिंग पाउडर खरीद का मामला सामने आया। मण्डलायुक्त के निर्देश पर तत्कालीन महाप्रबन्धक, झाॅसी डिवीजन जलसंस्थान द्वारा आवश्यकता से अधिक ब्लीचिंग पाउडर के खरीद का आदेश निरस्त किया गया और वतर्मान महाप्रबन्धक, झाॅसी डिवीजन जलसंस्थान को यह निदेर्श दिये गये कि पूरी शुचिता, ईमानदारी और टेण्डरदाताओं को पूरी ईमानदारी से यह स्पष्ट निर्देश देकर ब्लीचिंग पाउडर को क्रय करने हेतु निविदायें आमंत्रित की जायें। 28084 रू प्रति मीट्रिक टन से घटकर 21150 रू है। यह न्यूनतम दर गत वर्ष की तुलना में 6934 रू0 कम है। वर्ष भर में सैंकड़ों मीट्रिक टन ब्लीचिंग पाउडर की खपत होती है। उस हिसाब से भी देखा जाय तो लगभग 7000/-रू0 प्रति मीट्रिक टन की कम दर होने से ब्लीचिंग पाउडर की खरीद में जलसंस्थान को लाखों रू0 की बचत होने की संभावना है। यदि पिछले वर्ष को ही आधार माना जाय तो गत वर्ष 300 मीट्रिक टन ब्लीचिंग पाउडर की खपत जल संस्थान में हुई और इस गणना से 21 लाख रू का सीधा लाभ जल संस्थान को होगा। महाप्रबन्धक, जल संस्थान, झाॅसी द्वारा बताया गया कि जल संस्थान, झाॅसी में जो न्यूनतम दरें ब्लीचिंग पाउडर की प्राप्त हुई है, वह प्रदेश में सबसे कम है।