झांसी। अभियोजन द्वारा कथानक को युक्ति- युक्त संदेह से परे साबित करने में पूर्ण रूप से असफल रहने पर अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) विमल प्रकाश आर्य के न्यायालय में अभियुक्तों को दोषमुक्त करार दिया गया है।

अभियोजन के अनुसार विगत 24 अक्टूबर 2011 को थाना बरूआ सागर क्षेत्र अंतर्गत सॉई दाबा में वादी मुकदमा छनियापुरा निवासी मुहम्मद रफीक व फारूख के साथ बरुआ सागर आ रहा था कि करीब 11:30 बजे रात झरना में स्थित सॉई ढाबा होटल जो फारूख की साझेदारी में है, जिसका हिसाब फारूख ने भइय्यन से माँगा तो मना किया, जिस पर फारूख ने साझेदारी बंद कर होटल का हिसाब करने को कहा , इतने में ही भइय्यन ने अपने भाई इस्लाम उर्फ मुन्नी , सन्नी पुत्रगण यासीन खाँ व कुल्ली निवासी बरुआसागर ने गाली गलौज करते हुये लोहे की छड़ व कराल से नफीस पर हमला कर दिया। मारपीट से नफीस के सिर व हाथ पैरों में गंभीर चोट लगने पर लहु-लुहान हो गया और बेहोश होकर गिर गया, सभी हमलावर जान से मारने की धमकी देते हुये भाग गये ‌। वादी मुकदमा की तहरीर के आधार पर धारा 308,504,506 आईपीसी के तहत मुकदमा अभियुक्तगण भइय्यन, इस्लाम उर्फ मुन्नी, सन्नी व फुल्ली के विरूद्ध पंजीकृत किया गया। विवेचना उपरांत आरोप पत्र अभियुक्तगण भइय्यन, इस्लाम उर्फ मुन्नी, सन्नी व फुल्ली के विरूद्ध धारा 308,504,506 मे प्रस्तुत किया गया।
उक्त मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई उपरांत न्यायालय ने माना कि अभियोजन अपने कथानक को युक्ति- युक्त संदेह से परे साबित करने में पूर्ण रूप से असफल रहा है और इस प्रकार अभियुक्तगण भइय्यन, इस्लाम उर्फ मुन्नी, सन्नी व फुल्ली संदेह का लाभ देते हुये दोषमुक्त किये जाने योग्य है। न्यायालय द्वारा अभियुक्तगण भइय्यन, इस्लाम उर्फ मुन्नी, सन्नी व फुल्ली को संदेह का लाभ देते हुये आरोप अन्तर्गत धारा 308, 504, 506 भान्द०सं० में दोषमुक्त करार दिया गया। अभियुक्तों की ओर से पैरवी विवेक कुमार वाजपेई एड.श्रद्धा यादव एड व ऋतु हंस एड.ने की।

साक्षीगणों के खिलाफ भी वाद दर्ज किए जाने का आदेश

साक्षीगणों द्वारा न्यायालय के समक्ष सशपथ झूठा बयान दिए जाने पर पृथक-पृथक प्रकीर्ण वाद अन्तर्गत धारा 344 दंप्र०सं० के तहत दर्ज किया जाने का आदेश भी दिया गया है।

लापरवाह विवेचक के विरूद्ध एसएसपी व पुलिस महानिदेशक को पत्र प्रेषित किए जाने का आदेश

विवेचक द्वारा घटना स्थल से खूनालूदा मिट्टी ,चुटहिल के कपड़े, घटना में प्रयुक्त लोहे की छड़ व करछुल को बरामद करने का कोई प्रयास न किए जाने और न ही इस बावत कोई उल्लेख किये जाने कि चुटहिल को उक्त चोटें किस प्रकार के साधन / वस्तु से आयी हैं।विवेचक के उक्त कृत्य को विवेचना करने में अपने कर्तव्यों में लापरवाही व शिथिलता मानते हुए न्यायालय ने विवेचक के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने के बावत वरिष्ठ पुलिस
अधीक्षक झाँसी को पत्र प्रेषित किया जाने व एक प्रति पुलिस महानिदेशक उ०प्र० शासन लखनऊ को प्रेषित किए जाने के आदेश भी दिए गए हैं।