झांसी। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दीवार गिरने से मौत का शिकार बने 9 मजदूरों में झांसी के मऊरानीपुर तहसील के अंतर्गत ब्लॉक बंगरा के गांव पचवारा निवासी चार मजदूरों व एक बच्ची के शवों को शनिवार को प्रशासन द्वारा लखनऊ से गांव लाया गया। जहां पर स्थानीय तहसील प्रशासन की मौजूदगी में एक साथ चार लोगों और एक मासूम बच्ची को अंतिम विदाई दी गई। गांव में एक साथ चिताएं जली तो वहां मौजूद हर व्यक्ति गम में डूब गया। गांव में सन्नाटा पसर गया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दिलकुशा कॉलोनी में दीवार गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई। जिसमें बच्ची सहित पांच लोग झांसी के मऊरानीपुर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पचवारा के रहने वाले थे। इन मौतों से परिवार में बूढ़ी मां के अलावा अब कोई नहीं बचा है। परिवार का एक सदस्य लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।बेसहारा वृद्ध मां भगवती देवी झोपड़ी में रहकर अपना गुजर-बसर कर रही है।

भगवती का बुरा हाल है, वह रह रह कर अपनी दो साल की परपोती नैना को पुकारने लगती, बेटे गिरिजानंद और पोते प्रदीप को याद करके रोती रहती है। ग्रामीणों के अनुसार गिरिजानंद पर ही परिवार के पालन पोषण का जिम्मा था। इस वजह से वह पढ़-लिख नहीं सका। होश संभालते ही उसने मजदूरी शुरू कर दी। कई साल से पूरे परिवार के साथ मजदूरी ही कर रहा था। गांव में उसका कच्चा झोपड़ीनुमा घर है।

दरअसल भगवती देवी के बेटे गिरजानंद उर्फ पप्पू पुत्र घनश्याम, मानकुंवर पत्नी पप्पू, प्रदीप पुत्र पप्पू और रेशमा पत्नी प्रदीप, नैना पुत्री प्रदीप उम्र 1 वर्ष, गोलू पुत्र पप्पू उम्र 18 वर्ष अपने रिश्तेदार धर्मेंद्र जो जतारा के पास सिमरा गांव के रहने वाले हैं इनके के साथ लखनऊ मजदूरी करने गए थे। क्योंकि गांव में रोजगार ना होने के कारण जीवकोपार्जन करना मुश्किल हो रहा था। कमाने के लिए उक्त सभी प्रदेश की राजधानी गए हुए थे।