फेस्टिवल में दिखा साहित्य-सिनेमा का रंग, ज्वलंत मुद्दों पर हुई चर्चा 
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में गांधी सभागार में शुक्रवार को बुंदेलखंड लिट्रेचर फेस्टिवल का शुभारंभ  लेखक मैत्री पुष्पा, नरेश सक्सेना और आलोक धन्वा ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पांडे ने टीम को शुभकामनाएं दी|
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत चंद्र प्रताप सिंह ने किया। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी ब्रजेश दीक्षित ने दी। कार्यक्रम के पहले सत्र बुंदेली भाषा : बोलेंगे तो सुनी जाएगी के साथ शुरू हुआ जिसमें बहादुर सिंह परमार, महेंद्र भीष्म, रतिभान  कंज, संतोष पटैरिया उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन कवि पंकज पंडित ने किया।
कार्यक्रम में अनेक सत्रों पर विभिन्न विषय जैसे:- स्त्री विमर्श पर बुंदेली भाषा का मीडिया में स्थान पर, बुंदेलखंड सिनेमा में मीडिया का एकतरफा रवैया, बुंदेलखंड लालित्य कलाओं का समावेश, बुंदेली लोक संस्कृति से आज की पीढ़ी दूर क्यों, सिनेमा में बुंदेली का भविष्य, कविताओं का मूल साहित्य में चर्चा हुई, जिसमे कविता पाठ का भी हुआ, दलित साहित्य पर एक विशेष सत्र हुआ जिसका नाम  मुक्ति बोध के उजालों में कहीं था।
प्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम के जीवन पर आधारित एक नाटक का आयोजन द मॉडर्न पोयट द्वारा किया गया जो युवाओं का आकर्षण का केंद्र रहा। इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव का कार्यक्रम 14 से 16 अक्टूबर तक गांधी सभागार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में होगा। कार्यक्रम में ओपन माइक में  अनेक युवाओं ने अपनी प्रतिभाओं को दिखाया। कार्यक्रम में 15 से अधिक प्रकाशक जिसमे राजकमल, प्रलेक, फ्लाईड्रीम जैसे प्रसिद्ध प्रकाशकों का स्टॉल लगाया गया
कार्यक्रम में सूर्यबला, चंद्रकाल, चित्रा देसाई, निधि अग्रवाल, विशाल पांडे, सचिन चौधरी, ऋतु दुबे तिवारी, नजीरीन, अजीत राय, दीपक दुआ, विजय करोलिया आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन लेखा लकरखा ने व आभार अनुपम व्यास ने किया।