झांसी। रबी सीजन में शासन के निर्देश के क्रम में जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार द्वारा अक्टूबर 2022 में टॉप-20 डी०ए०पी० वॉयर्स की जॉच कराई गई तो बड़ी कमियां प्रकाश में आईं।
इनमें महेन्द्र प्रताप सिंह, प्रबन्ध निदेशक किसान सेवा सहकारी समिति, मारकुँआ द्वारा कृषक रामजीवन, ग्राम एवनी को 42 बोरी डी०ए०पी० फर्जी तरीके से खारिज की गई जबकि कृषक के पास 4.5 एकड़ भूमि है। इसी प्रकार कृषक श्री बृजकिशोर तिवारी, ग्राम-सौनकपुर, गुरंसराय के नाम 40 बोरी डी०ए०पी० फर्जी तरीके से खारिज की गई जबकि कृषक के पास 9 एकड़ भूमि है।
 सुषमा देवी यादव, प्रबन्ध निदेशक किसान सेवा सहकारी समिति, रेवन द्वारा कृषक द्वारिका प्रसाद पुरी ग्राम स्यावरी, मऊरानीपुर के नाम 15 बोरी डी०ए०पी० फर्जी तरीके से खारिज की गई है। जबकि कृषक के द्वारा कोई डी०ए०पी० क्रय नही की गई है। इसी प्रकार कृषक गजेन्द्र प्रताप सिंह, ग्राम-गढ़वा, मऊरानीपुर द्वारा 09 बोरी डी०ए०पी० क्रय की गई है जबकि समिति द्वारा फर्जी तरीके 30 बोरी खारिज की गई।
  राहुल यादव, प्रबन्ध निदेशक किसान सेवा सहकारी समिति, सेमरी कृषक संजीव कुमार करकोस कोई डी०ए०पी० क्रय नही की गई किन्तु समिति द्वारा गणना के नाम पर फर्जी तरीके से कृषक से अंगूठा लगवाया गया है इसी प्रकार कृषक नितेश कुमार लुधियाई के द्वारा कोई डी०ए०पी० क्रय नही की गई किन्तु समिति द्वारा 10 बोरी डी०ए०पी० गणना के नाम पर खारिज की गई है।
 यदुनाथ सिंह, पी०सी०एफ०, चिरगाँव से कृषक संजीव कुमार, ग्राम करकोस के पास 19.5 एकड़ भूमि है उनके द्वारा 20 बोरी डी०ए०पी० क्रय की गई है। इसी प्रकार कृषक दिनेश कुमार, ग्राम-करकोस द्वारा 08 बोरी डी०ए०पी० क्रय की गई है किन्तु प्रभारी द्वारा उनके नाम 15 बोरी डी०ए०पी० खारिज की गई है।
 सुशील कुमार, पी०सी०एफ०, मऊरानीपुर से कृषक दीपेन्द्र सिंह, ग्राम-धवाकर द्वारा कोई डी०ए०पी० क्रय नही की गई है तथा पी०सी०एफ० द्वारा फर्जी तरीके से 30 बोरी डी०पी०एफ० खारिज की गई है। इस प्रकार कृषक द्वारिका प्रसाद पुरी, ग्राम-स्यावरी द्वारा 05 बोरी डी०ए०पी० क्रय की गई है किन्तु प्रभारी द्वारा 15 बोरी डी०ए०पी० फर्जी तरीके से खारिज की गई है।
 राजेन्द्र कुमार गुप्ता, मै०आर०के० ट्रेडर्स, सिमरावारी, बबीना से कृषक अजय वर्मा द्वारा डी०ए०पी० क्रय की गई है किन्तु उनके पास कोई भूमि नही है। विक्रेता द्वारा बिना पहचान पत्र / दस्तावेज के फर्जी तरीके से डी०ए०पी० खारिज की गई है। जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश है कि कृषको को उनकी जोत / खतौनी एवं फसल सस्तुतियों के अनुसार / संस्तुत मात्रा में उनकी पहचान करके उर्वरक विक्रय किया जाये किन्तु उपरोक्त सभी विक्रेताओं द्वारा बिना पहचान पत्र / दस्तावेज के नियम विरुद्ध महंगे दामों पर डी०ए०पी० विक्रय कर कालाबाजारी की गई है जो कि उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध है। अतः उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के उलंघन में उपरोक्त सभी उर्वरक विक्रेताओं के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत करा दिया गया है।