झांसी। नित्य लीला निकुंज निवासी गुरुदेव भगवान महंत बिहारी दास की सत्प्रेरणा से वर्तमान महंत राधामोहन दास महाराज के गद्दी पर विराजमान महोत्सव के उपलक्ष्य में कुंज बिहारी मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ समारोह के प्रथम दिन श्रीमद्भागवत के महात्तम की कथा करते हुए कथा व्यास महंत राधामोहन दास ने कहा कि जीवन में ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का योग बन जाता है किंतु व्यक्ति क्रम के अभाव में भागवत नहीं बन पाती वे कहते हैं कि जब जीवन में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य का अनुसरण करना हम पूरी तरह सीख जाएं तो वही भागवत बन जाती है।

उन्होंने कहा कि जीवन में अहंकार का सृजन होने पर सुख शांति छिन जाती है किंतु प्रेम, विश्वास और समर्पण का भाव मन के भीतर आ जाने से अहंकार का दमन हो जाता है प्रेम को जीवन में एथेस्ट बताते हुए उन्होंने कहा कि दाम के चक्कर में ज्यादा पडने पर आराम हराम हो जाता है परंतु ,’राम’ में विश्राम मिलता है परमपिता परमात्मा को सत, चित, आनंद अर्थात सच्चिदानंद बताते हुए उन्होंने कहा कि जगत की सभी वस्तुएं नाशवान हैं किंतु सत्य तो एकमात्र परमात्मा है। जीवन असत्य और मौत सत्य है, जिसे एक ना एक दिन हर व्यक्ति को स्वीकार करना होगा। कथा व्यास ने कहा कि मनुष्य की असीम महत्वाकांक्षाओं के चलते उसे जीवन में दुख प्राप्त होते हैं।जब जब हमें समय जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है प्रभु हमें समय पर दे देता है किंतु जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षा पालने पर हमें दुख की प्राप्ति होती है। जीवन में सुखी रहने का उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि सादा जीवन उच्च विचार से हम हमेशा प्रसन्न रह सकते हैं।

इसके पूर्व मंगलाचरण के माध्यम से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद् भागवत ग्रंथ तो भगवान श्री कृष्ण का वांगमय स्वरूप है धुंधकारी राक्षस एवं ब्राह्मण बालक गोकर्ण की कथा का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि माता धुंधली के गर्भ से धुंधकारी नामक अत्याचारी का जन्म हुआ जबकि गाय के पेट से बालक गोकर्ण जन्मे जो ज्ञानी और परम धार्मिक थे। इससे पूर्व विद्वान आचार्य राम लखन उपाध्याय ने वैदिक रीति रिवाज से वेदिका पूजन, नवग्रह पूजन एवं कलश स्थापना, समस्त पीठ सहित व्यासपीठ का पूजन कराया।प्रारंभ में यजमान श्रीमती उर्मिला अनिल तिवारी श्रीमती संगीता संजीव दुबे श्रीमती सरोज शीतल तिवारी, रेशमा राजकुमार सिंह अनुराधा गोपाल तिवारी समता राम मोहन तिवारी एवं रुचि मयंक अग्रवाल ने कथा व्यास का माल्यार्पण करते हुए श्रीमद् भागवत पुराण की आरती उतारी।