– कृष्ण सुदामा के मार्मिक प्रसंग के साथ श्रीमद भागवत ज्ञानयज्ञ समारोह का समापन
झांसी। सिविल लाइन ग्वालियर रोड स्थित कुंज बिहारी मंदिर में नित्य लीला निकुंज निवासी गुरुदेव भगवान महंत बिहारीदास की सत्प्रेरणा से वर्तमान महंत राधामोहनदास महाराज के गद्दी पर विराजमान महोत्सव के उपलक्ष्य में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के
अंतिम दिवस कृष्ण सुदामा चरित्र का मार्मिक प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास महंत राधामोहन दास ने कहा कि संदीपन आश्रम में समिधा लेने साथ गये कृष्ण सुदामा समिधा खोजते खोजते जब सुदामा कृष्ण से थोडा दूर हो गए तो उन्हें भूख सताने लगी और भूख की तडफ के चलते उन्होंने गुरुमाता द्वारा दिए गए कृष्ण के हिस्से के चने भी खा लिये।वे कहते हैं कि संत और भगवंत से दूर रहने पर विलासिता की भूख बढ़ती ही जाती है और उस भूख की तड़प के कारण मित्र से कपट करके उसके हिस्से का खाने में भी संकोच नहीं लगता, परंतु वही जीव ठोकरें खाने के बाद जब संत और भगवंत की शरण में आ जाता है तो बिना मांगे ही उसका जीवन संसार की समस्त खुशियों से भर जाता है। जिस प्रकार द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण से मिलने पहुंचे सुदामा से बिना मांगे दो मुट्ठी चावल खाकर सुदामा को दो लोकों का राजा बना दिया। उन्होंने सुंदर भजन सुनाया “अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो कि मिलने सुदामा गरीब आ गया है” जिसे सुन श्रोता झूम उठे। महंत ने कहां की सुदामा दी प्रभु के परम भक्त थे गरीब तो हो सकता है पर दर्ज नहीं हो सकता धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा किये गये यज्ञ में भगवान ने मेहमानों के चरण प्रक्षालन एवं जूठी पत्तल उठाकर समाज में लघुता में ही प्रभुता का संदेश दिया।
द्रोपदी के चीर हरण का प्रसंग सुनाते हुए महंत ने कहा कि प्रभु आती जरूर है परंतु हम सब द्रोपती की तरह पुकारते नहीं है। सूर्य की दो प्रमुख संताने यमुना और यमराज को बताते हुए उन्होंने कहा कि यमुना का दूसरा नाम कालिंदी है इस प्रकार कालिंदी भगवान की पत्नी है उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के 16108 विवाह हुये। रुक्मणी विवाह की प्रसंग को विस्तार से आगे बढ़ाते हुए महंत ने कहा लक्ष्मी नारायण को प्राप्त करती हैं तो कभी छोडती नहीं है और हम लोग हैं कि नारायण का ध्यान नहीं करते और लक्ष्मी के पीछे भागते रहते हैं जरा विचार करो कि क्या लक्ष्मी तुम्हारे हाथ आएगी और आ भी जायेंगी तो ठहरेंगी नहीं अतः अपने पास लक्ष्मी को चिर स्थायी बनाने के लिए यदि नारायण के चरण पकड़ लोगे तो लक्ष्मी आपके पास से कभी नहीं जायेंगी। सुख शांति से जीवन व्यतीत करने के तीन सूत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि एक रीति ( धर्म के मार्ग पर चलकर) से जियो दूसरा नीति से पैसा कमाओ और तीसरा प्रीति से प्रभु का भजन करो क्योंकि जहां नीति है वहीं धर्म है, जहां धर्म है वहीं भगवान कृष्ण हैं और जहां कृष्ण हैं वहीं जीत है।लोभ को पाप का बाप बताते हुए महंत ने कहा कि पापों की मूल जड़ लोभ हैं।
संचालन करते आचार्य रामलखन उपाध्याय ने पुराण पूजन कराया।प्रारंभ में यजमान श्रीमती सरोज शीतल तिवारी, उर्मिला अनिल तिवारी,संगीता संजीव दुबे, रेशमा राजकुमार सिंह, अनुराधा गोपाल तिवारी, समता राममोहन तिवारी एवं रुचि मयंक मित्तल, गुड्डन गोविंद अग्रवाल,शैली मृदुल खरे,प्रतिभा आत्मप्रकाश चतुर्वेदी, गीता रमेशचंद्र सोनी दीप्ति अमित माहौर एवं महिला डिग्री कालेज के प्राचार्य डा.वी पी त्रिपाठी,मालती ओपी गुप्ता ने कथा व्यास का माल्यार्पण करते हुए श्रीमद् भागवत पुराण की आरती उतारी।अंत में मनु महाराज ने आभार व्यक्त किया।














