जातीय भेद -भाव को दरकिनार कर समाजसेवी ने 18 वाल्मीकि कन्याओं के पैर पखार निभाया पिता व भाई का कर्तव्य, हजारों लोग रहे साक्षी

 

झांसी। गंगाधर राव कला मंच पर बाल्मीकि समाज सेवा समिति, झाँसी (उ.प्र) के पांचवे सामूहिक आदर्श विवाह सम्मेलन में मुख्य जनपद के प्रतिष्ठित समाजसेवी डॉ. संदीप सरावगी ने 18 बाल्मीकि कन्याओं के पैर पखारकर उन्हें उपहार स्वरूप 90 लाख की पॉलिसी, नगदी एवं वस्त्र वितरित कर बड़े भाई-पिता का फर्ज अदा किया। आदर्श विवाह सम्मेलन में समाज के कुल 18 नव दंपत्ति परिणय सूत्र में बंधे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संदीप सरावगी ने नगर निगम प्रांगण स्थित मंदिर में महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके पश्चात संदीप सरावगी द्वारा शोभा यात्रा को हरी झंडी दी गई। बाल्मीकि समाज सेवा समिति पदाधिकारियों द्वारा समाजसेवी संदीप को रथ पर विराजमान कराया गया शोभायात्रा व बारात की शुरुआत नगर निगम से की गई। शोभा यात्रा नगर के विभिन्न चौराहों से होते हुए गंगाधर राव कला मंच पर पहुंची। इसके पश्चात समाजसेवी डॉ. संदीप सरावगी ने द्वार पर 18 दूल्हों का तिलक कर बारात का स्वागत किया। मंच पर समाजसेवी डॉ.संदीप सरावगी द्वारा हजारों लोगों की उपस्थिति में जातीय भेद-भाव से परे होकर मानवता का धर्म निभाते हुए 18 बाल्मीकि कन्या के पैर पूजन किये इसके पश्चात नववधुओं को 90 लाख की पॉलिसी, नकदी व वस्त्र उपहार स्वरूप वितरित किये।

समारोह को संबोधित करते हुए समाजसेवी डॉ संदीप सरावगी ने कहा सनातन धर्म में विवाह एक अटूट बंधन है हमारे यहां पूरा जीवन 14 संस्कारों में बंटा है जिसमें 13 संस्कार विवाह है। इस आधार पर कहा जा सकता है विवाह के उपरांत जीवन एक दूसरे के लिये ही होता है। संदीप सरावगी ने कहा बाल्मीकि समाज जिसे आज अनुसूचित जाति के रूप में जाना जाता है क्या यह समाज शुरू से ही साफ सफाई का कार्य कर रहा है ऐसा नहीं है। यह समाज पूर्व में योद्धा समाज था जिसने धर्म परिवर्तन स्वीकार ना करते हुए गंदगी ढोने, साफ सफाई जैसा काम करना स्वीकार किया। इस समाज का इतिहास बहुत व्यापक है प्रारंभ में यह एक योद्धा जाति थी धानुक जो धनुर्धर शब्द से बना है, यह वह जाति थी जो युद्ध में धनुष बाण चलाकर दुश्मनों को परास्त करने में निपुण थी। महर्षि वाल्मीकि जो महा ज्ञानी थे जिन्होंने रामायण की रचना की जो सनातन धर्म का सबसे अधिक अनुकरणीय ग्रंथ है। भगवान राम के पुत्रों लव और कुश ने भी महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में रहकर ही शिक्षा दीक्षा ग्रहण की थी जब हमारे इष्ट देव के पुत्रों ने महर्षि बाल्मीकि से शिक्षा दीक्षा ग्रहण की तो आज हमारा समाज क्यों जाति और छुआछूत के बंधनों को मानता है ? मेरा प्रदेश और भारत सरकार से आव्हान है कि अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी सफाईकर्मियों को हेल्थ इंस्पेक्टर का नाम दिया जाये आज भी जहाँ धर्म की बात आती है तो बाल्मीकि समाज योद्धाओं की तरह मर मिटने को तैयार हो जाता है धर्म के प्रति यह अटूट विश्वास और किसी जाति में आसानी से देखने को नहीं मिलता।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदीप जैन आदित्य (पूर्व केंद्रीय मंत्री), बृजेन्द्र व्यास (पूर्व विधायक गरौठा), संतराम पेंटर, बाल्मीकि समाज सेवा समिति के महेश चंद्र महर्षि (मुख्य संस्थापक), किशन करोसिया (समिति अध्यक्ष), चौधरी (कार्य. अध्यक्ष), राहुल बाल्मीकि (कोषाध्यक्ष), महाराज सिंह (महामंत्री), अनिल बाल्मीकि (संयोजन मंत्री) एवं संघर्ष सेवा समिति की ओर से जिलाध्यक्ष अजय राय (जिला अध्यक्ष), विनोद वर्मा (जिला अध्यक्ष ग्रामीण), नीरज सिहोटिया (पार्षद), राजीव कुमार, त्रिलोक कटारिया, सुशांत गेंडा, महेंद्र रायकवार, राकेश अहिरवार, संदीप नामदेव, राजू सेन सहित समस्त सदस्य मौजूद रहे।