वर्तमान परिदृश्य और पत्रकारिता पर संगोष्ठी में पूर्व उपजा अध्यक्ष ने सोशल मीडिया के बढ़ते महत्व को प्रतिपादित किया 

झांसी। बुंदेलखंड महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में नारद जयंती के उपलक्ष्य में “वर्तमान परिदृश्य और पत्रकारिता” विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (बीआईईटी) के निदेशक प्रो़ पुलक मोहन पांडे ने कहा कि जनमानस ने पत्रकारिता को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में स्वीकृति दी है तो इस वर्ग से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी भी बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि आज मीडिया बहुत अधिक चलायमान (डायनेमिक) है। किसी खबर का प्रसार आज मात्र कुछ ही समय में टेक्नोलॉजी की मदद से दुनिया के कोने कोने में हो सकता है। यह अपने आप में बताता है कि इस वर्ग से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी कितनी अधिक है। किसी एक गलत खबर से होने वाला नुकसान भी अकल्पनीय है और ऐसी स्थिति में जिम्मेदारी अपने आप में बहुत बड़ी हो जाती है।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक अग्निहोत्री ने प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आये बदलाव और सोशल मीडिया के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो युवा आज पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ रहा है उसमें जज्बा है समाज और देश के लिए कुछ करने के साथ ही समाज को सही रास्ता दिखाने का, राजनेताओं को उनका कर्तव्य याद दिलाने का और प्रशानसनिक अधिकारी व कर्मचारी को सही तरीके से काम करने के बारे में बताने का। यह युवा पत्रकार अपनी आग को मूर्त रूप तभी दे सकते हैं जब इनके कार्यस्थल का प्रबंधन उन्हें इस तरह से काम करने की आजादी दे। बड़े बड़े मीडिया संस्थान अपने हितों को साधने के लिए पत्रकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसी कारण पत्रकारिता के स्तर में गिरावट आयी है।

उन्होंने कहा कि मीडिया का स्तर बनाये रखने में पहले आमजन भी अपनी भूमिका निभाता था। समाचार पत्रों में संपादक के नाम पत्र या संपादक के लिए चिट्ठी पत्री जैसे कॉलम छपा करते थे जिसमें लोग अपनी राय या किसी मुद्दे विशेष पर लिखे जाने की सलाह भी देते थे लेकिन आज लोगों के पास इतना समय नहीं रह गया है कि वह किसी भी समाचार पर अपनी राय रखे या संपादक को एक मेल ही कर दें। आज सोशल मीडिया के युग में हर व्यक्ति स्वंय ही संपादक बन गया है और किसी घटना विशेष को विभिन्न प्लेटफार्म पर चलाकर खुद ही पत्रकार बन जाता है ऐसे में खबरों की विश्वसनीयता को देखने का काम करने वाले संपादक का महत्व लगभग समाप्त हो गया है । सब अपनी खबर बनाकर लाइक पाने में लगे हैं खबर की विश्वसनीयता और गुणवत्ता से किसी को लेना देना नहीं रह गया है ऐसे में कर्मठ पत्रकार के लिए स्थिति बहुत खराब है , जो वह करना चाहता है उसे न तो समाज देखना चाहता है और न ही ऐसा करने की आजादी उसे उसका संस्थान देता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीकेडी के प्राचार्य एसके राय ने पत्रकारों की समस्याओं को उजागर करते हुए कहा कि जो समुदाय सबकी परेशानी में खड़ा रहता है उसके जीवन में क्या परेशानियां हैं या उसे भी अपना काम स्वतंत्र तरीके से करने के लिए कुछ आर्थिक और सामाजिक सुरक्षाएं चाहिए होती हैं लेकिन उन्हें यह सुरक्षा मुहैया नहीं करायी जाती है। इस कारण से ही उनके काम के स्तर में गिरावट आयी है।अगर पत्रकारिता के स्तर को उठाना है तो शासन प्रशासन की ओर से इस वर्ग के लिए कुछ मूलभूत सुरक्षाओं को मुहैया कराने की दरकार है।

अंत में कार्यक्रम में आये अतिथियों का आभार पीके यूनीवर्सिटी के डायरेक्टर जितेंद्र मिश्रा ने किया। मुख्य अतिथितों को स्मृति चिंह देकर कार्यक्रम का समापन किया गया। गोष्ठी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ़ कौशल त्रिपाठी और बीकेडी के अध्यपगणों के साथ जनपद के प्रमुख पत्रकार अरिंदम घोष, वाई के शर्मा, महेश पटेरिया, सोनिया पांडे, रामकुमार साहू, दीपचंद चौबे, योगेश पटैरिया, वैभव सिंह, आकांक्षा सिंह, लक्ष्मीनारायण सिंह, अब्दुल सत्तार, शाश्वत सिंह, मुकेश वर्मा, राजेश चौरसिया, शेख आजाद, राहुल कोष्टा, रानू साहू, दीपक त्रिपाठी, सरिता सोनी, हर्ष शर्मा, एस एस चक्रवर्ती आदि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र छात्राओं ने भी भागीदारी की।