राम की बातों को बुद्ध ने आगे बढ़ाया : हरगोविंद कुशवाहा

आत्मनिर्भर भारत के लिए बौद्धिक आत्मनिर्भरता नितांत आवश्यक : डॉ रवींद्र शुक्ल

झांसी। रविवार को हिन्दी साहित्य भारती का जिला स्तरीय प्रथम उपनिवेशन स्थानीय होटल में आयोजित किया गया। कई सत्रों में से उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यमंत्री बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविन्द कुशवाहा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रविन्द्र शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में राम की बातों को बुद्ध द्वारा आगे बढ़ाना बताया गया। तो वहीं अध्यक्षीय भाषण में डॉ. रविन्द्र शुक्ल ने आत्मनिर्भर भारत के लिए बौद्धिक आत्मनिर्भरता को नितांत आवश्यक बताया।

राज्यमंत्री अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा ने कहा कि भारतीय संस्कृति को जितना बर्बाद जवाहरलाल नेहरू ने किया,उतना मैकाले ने भी नहीं किया। जिसकी हरम में 5000 औरतें थी उसे महान बता दिया, जिसने कई देश लूटे ऐसे सिकंदर को भी ग्रेट बता दिया। उन्होंने कहा कि हमारे योद्धाओं को इतिहास के पन्नों में छुपा दिया गया और हम पर जबरन चोर लुटेरों और आतातायियों के इतिहास बताकर थोप दिए गए।राम की बातों को ही बुद्ध ने आगे बढ़ाया ऐसा बौद्ध पंथ में लिखा है, साहित्यकारों का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए यह समाज का दायित्व है।

केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र शुक्ल ने अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि, आपको गर्व होगा कि आज विश्व के 35 देशों में हिंदी साहित्य भारती के झंडा गाड़ दिया। भारतवर्ष का कोई राज्य नहीं जहां हिंदी साहित्य भारती न पहुंचा हो। विश्व के सबसे बड़े बुद्धिजीवी संगठन का जन्म कोविड काल में भारत की वीरांगना भूमि से हुआ। कोविड काल में चिंतन में आया कि इस समय का सदुपयोग किया जाए। मैंने देश विदेश के विभिन्न लोगों को तरंग माध्यम से संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि मंत्री पद छोडऩे के बाद मेरे चेहरे की चमक बढ़ी है। यदि साहित्य का साथ न होता तो मेरी हालत क्या होती? आप सब जानते हैं । इतने कम समय में इतने बड़े संगठन का विस्तार कोई व्यक्ति नहीं कर सकता। स्वतंत्रता के पूर्व वंदे मातरम स्वतंत्रता का मंत्र था। लेकिन स्वतंत्रता के बाद अब यह सांप्रदायिक हो गया जिस वंदे मातरम के लिए लाखों लोग फांसी के फंदे पर झूल गए। स्वतंत्रता के बाद वह वंदे मातरम लोगों के हृदय को आहत करने लगा। जो हमने पढ़ा था वह पाठ्यक्रम में नहीं है। यह सब पाठकम से निकाल दिया इसीलिए सनातनी परिवार में पैदा हुआ बच्चा भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह कहने लगा। उन्होंने मोगली सीरियल को गोंडा के एक गांव की घटना बताया। आज का साहित्य आपको सुख दे सकता है लेकिन समाज को संस्कार नहीं दे सकता। सरकार को असहिष्णु बताने के लिए तथाकथित पुरस्कार वापस ले लिया,पैसा वापस नहीं किया। ऐसे साहित्यिक लोगों की एक भी कविता किसी को नहीं मालूम। ऐसे साहित्यकार नहीं बनना चाहिए जो सर्व समाज को संस्कार न दे सके। उन्होंने कहा साहित्य समाज का दर्पण है, मैं उसे नहीं मानता। साहित्य समाज का दर्पण नहीं निर्माता है । साहित्य का धर्मों के अंदर कांता भाव हो। भारतीय पत्नी को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि उसके दिमाग में अविराम कांता भाव चलता रहता है और अपने पति को पथ भ्रमित नहीं होने देती। आत्मनिर्भर भारत के लिए बौद्धिक आत्मनिर्भरता नितांत आवश्यक है और बौद्धिक आत्मनिर्भरता के लिए भारत की बौद्धिक शक्ति को एक साथ खड़ा होना होगा। भारतीय संस्कृति का दुनिया में लोहा मनवाना हमारा कर्तव्य है। हम जगतगुरु के स्थान पर थे अब क्यों नहीं रहे यह चिंतन का विषय है। सनातन धर्म सृष्टि के साथ पैदा हुआ इसमें हमें पैदा होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हमें परमात्मा का धन्यवाद करना चाहिए धर्म केवल भारत वर्ष में पैदा हुआ बाकी सब पंथ है।
नरेश चन्द्र अग्रवाल (प्रदेश महामंत्री संस्कार भारती) ने कहा कि संस्कार और संस्कृति की पोषक है। ओम प्रकाश शुक्ल ने आज देश दो विचारधाराओ में बांटा हुआ है। परिचय सत्र का संचालन जिला संयोजक राजेश तिवारी मक्खन ने किया।
इससे पूर्व डॉ. राजीव शर्मा पूर्व आईएएस अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री हिंदी साहित्य भारती ने संकल्प गाया…हो गई है जड़ मनुजता चेतना फिर से भरूंगा। अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। डॉ. रुचिरा बाजपेई ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कृतिका बुधौलिया ने मातृवन्दना प्रस्तुत की। ध्येय गीत को सारथी सोनू बाथम ने प्रस्तुत किया। जिला संयोजक राजेश तिवारी मक्खन ने स्वागत भाषण दिया। जिला अध्यक्ष संजय राष्ट्रवादी ने प्रथम सत्र के पश्चात आभार व्यक्त किया।

हिंदी साहित्य भारती से निशांत रवींद्र शुक्ल, नीरज सिंह,
विभिन्न कवि साहित्यकार प्रो बी बी त्रिपाठी, अर्जुन सिंह चांद, प्रतापनारायण दुबे, नीति शास्त्री, रामस्वरूप हरिकिंकर, साकेत सुमन चतुर्वेदी, निहालचंद्र शिवहरे, सुखराम चतुर्वेदी फौजी, रामकुमार पाण्डेय झटपट, डा. संतोष मिश्र राजभाषा अधिकारी भेल, रामस्वरूप सोनी तुक्कड़, जी पी वर्मा मधुरेश, नेहा चाचरा, आरजू अग्रवाल,सपना बबेले, अनिलेश कुमार, डा, अजीत कुमार, रेवा शंकर पाठक, ब्रजलता मिश्र, संध्या निगम, प्रीतीकरण ,पद्मा खरे, पल्लवी शुक्ला, रुचि, हरिशंकर बाल्मिक, कैलाश नारायण मालवीय, ब्रह्मदीन बंधु, कामता प्रसाद प्रजापति, रवि नायक, काशीराम सेन मधुप, कमल किशोर बरसाईयां, प्रो अनिल सोलंकी, मनोज शर्मा, महेंद्र वर्मा आदि ने काव्यपाठ किया कवि सम्मेलन का संचालन जिला अध्यक्ष संजय राष्ट्रवादी ने किया। आभार केंद्रीय कोषाध्यक्ष मयूर गर्ग ने व्यक्त किया।