ललित कला संस्थान में डॉ. श्वेता पाण्डेय के निर्देशन में विद्यार्थी सीख रहे हैं भित्ति चित्रण का हुनर

झांसी। ललित कला संस्थान बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के विद्यार्थियों द्वारा डॉ. श्वेता पाण्डेय के निर्देशन में किए जा रहे भित्ति चित्रण को कला संकाय अधिष्ठाता प्रो. मुन्ना तिवारी ने देखते हुए कहा कि संस्थान की दीवारें अब बोलने लगी हैं। ललित कला संस्थान में ऋतुरंग भित्ति चित्रण में संस्थान के 40 से अधिक विद्यार्थी 30 से अधिक दीवारों को संजाने का कार्य कर रहे हैं।

प्रो. तिवारी ने कहा कि संस्थान में आते ही सहज ही यह महसूस होने लगता है कि हम ललित कला संस्थान में हैं। दीवारों पर उकेरे गए चित्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि विद्यार्थियों में अद्भूत हुनर है। जरूरत है तो उन्हें एक सकारात्मक दिशा देने की। ऋतुरंग भित्ति चित्रण कार्यक्रम की संयोजक एवं निर्देशक डॉ. श्वेता पाण्डेय को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक का धर्म अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को पोषित करना है और आप इस कार्य को बहुत ही मेहनत और लगन के साथ कर रही है।

ऋतुरंग भित्ति चित्रण कार्यक्रम की संयोजक एवं निर्देशक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को भित्ति चित्रण की बारीकियों को बताना है। इस कार्यशाला में 30 से अधिक दीवारों पर चित्रण का कार्य स्नातक और परास्नातक स्तर के विद्यार्थी कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ संस्थान से उत्तीर्ण विद्यार्थी भी अपना योगदान दे रहे हैं।

कार्यशाला के सह संयोजक गजेन्द्र सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों में सीखने की बहुत अच्छी ललक है और बहुत ही लगन और मेहनत के साथ सभी विद्यार्थी अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि रविवार होने के बावजूद 15 से अधिक विद्यार्थी अपने कार्य में लगे हुए हैं, यह बहुत ही गर्व का विषय है.

भित्ति चित्रण करते हुए विद्यार्थियों से उनके अनुभव पूछे जाने पर निकेता ने बताया कि अभी तक कैनवास पर चित्रों को उकेरना का हुनर सीखा था। कैनवास पर किसी भी तरह से घुमाकर चित्र बनाया जा सकता है लेकिन भित्ति चित्रण का अनुभव बहुत ही अच्छा हो रहा है। अलादीन ने कहा कि भित्ति चित्रण लोगों को हमेशा दिखाई देते हैं। यह संस्थान से जाने के बाद भी एक निशानी के रूप में हमेशा रहेगा। नंदनी कुशवाहा ने कहा कि इसी वर्ष परास्नातक उत्तीर्ण होने के बाद जब यह पता चला कि डॉ. श्वेता पाण्डेय के निर्देशन में भित्ति चित्रण का कार्य चल रहा है तो मैं इस कार्य को करने और भित्ति चित्रण को सीखने के लिए स्वयं जुड़ने के लिए आई हूँ। यह एक बहुत ही अच्छा प्रयास है। रौनक ने बताया कि दीवारों को देखकर अच्छा लगता है और जब कोई इसकी तारीफ करता है तो बहुत ही सुखद महसूस होता है। देवव्रत ने बताया कि कला के कई आयामों को समझने में बहुत सहायक हो रही हैं यह कार्यशाला। उन्होंने कहा कि कागज और कैनवास से आगे की दुनिया में प्रवेश करने जैसा यह अनिभव हो रहा है।

यह विद्यार्थी ले रहे हैं हिस्सा

इस भित्तिचित्रण कार्यशाला में नंदनी कुशवाहा, शिवांगी सोनी, अंजली राजपूत, अल्लादीन, निकेता, भास्कर, चंचल कुशवाहा, नगमा, अनिष्ता सिंह, शैल्वी कुमारी, ईशा जैन, शिखा पाल, कोमल, रोनक, संदीप पटेल, सत्यम सोलंकी, नीति गुप्ता, सपना श्रीवास, मेघना सचान, शुभम शर्मा, रचना वर्मा, साधना वर्मा, रश्मि कुशवाहा, अपूर्वा श्रीवास, शिव दयाल, राघव, यश महोर, अनुपम नामदेव  एवं अन्य विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं।