उ० प्र० सफाई मजदूर संघ ने कहा – दोषी तंत्र के विरुद्ध कार्रवाई हो

झांसी ! उ० प्र० सफाई मजदूर संघ, जिला शाखा झांसी की बैठक जिलाध्यक्ष अशोक प्याल की अध्यक्षता एंव मुख्य संरक्षक वालकृष्ण गांचले, कैलाश खरे ड्रेसर, के आतिथ्य में हुई। इसमें जिलाध्यक्ष ने कहा कि हमारे संघ को अनुभव हो रहा है कि नगर निगम प्रशासन द्वारा अनुसूचित जाति एंव दलित वर्गों के सफाई कर्मियों एव अधिकारी, सफाई निरीक्षक वर्ग के साथ अंसवैधानिक रूप से पक्षपात एंव निम्न जाति वर्ग के प्रति सामाजिक मानसिक उत्पीडन की भावना के वशीभूत होकर अनेकों कार्य किये जा चुके है। इस कार्य प्रणाली से दलित विरोधी भावना का प्रदर्शन और प्रत्यक्ष रूप में अनुभव हुआ है। इन कारणों से संघ नगर निगम प्रशासन से उक्त प्रकार की भावना का परित्याग कर दलित वर्गों के प्रति हुये उत्पीडन तथा दोषी तंत्र के प्रति कोई कार्यवाही न होने की तीव्र स्वर में निंदा करता है।

जिलाध्यक्ष ने कहा कि भारतीय संविधान ने सभी को समानता व संरक्षण और विकास का मौलिक अधिकार प्रदत्त किया है फिर न जाने क्यों अनुसूचित जाति वर्ग के महापौर के पदस्थ रहते प्रशासन द्वारा दलितों के प्रति अन्याय किया जा रहा है, यह गम्भीर जांच योग्य प्रश्न और संवेदानात्मक विचारणीय विंदु है। यदि इस दिशा में शीघ्र सकारात्मक कार्यवाही एंव मानसिकता परिवर्तन नही हुआ तो प्रदेशीय स्तर पर उक्त गम्भीर मामलो को उठाया जायेगा।

संघ का कहना है कि विगत वर्ष में नगर निगम कार्यालय भवन में संघ के प्रतिनिधिमंडल और एक स्वास्थ्य विभाग के पिछड़ी जाति के कर्मचारी के मध्य अनावश्यक रूप से उत्तपन्न हुये छोटे से विवाद को वहुत बडा रूप देकर उत्पीडानात्मक कार्यवाही कराया जाना विगत सप्ताह में पार्षद द्वारा दलित वर्ग के सफाई निरीक्षका के प्रति अपमान जनक व्यवहार प्रदर्शित करने, तत्कालीन आयुक्त द्वारा एक लिपिक के भुगतान पर रोक लगाने के बाबजूद भी उसी पत्रावली को उप निदेशक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग उ० प्र० झांसी कार्यालय से स्वीकृति कराकर भुगतान कराया जाना और उसी प्रकार की एक विधवा महिला जो कि वाल्मीकि समाज की थी। उसके पति के भुगतान पर उपरोक्त उप निदेशक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग उ० प्र० झांसी द्वारा स्वीकृति होने के बाबजूद भी आज तक भुगतान न होना। यही नहीं अभी हाल में विगत वर्षों में हुये शासनादेश अनुसार 1996 से लेकर 2001 तक जिन कर्मचारियों ने दैनिक वेतन पर कार्य किया है, उनकी सूची शासन को भेजी जानी थी। परन्तु विभाग ने ऐसा नही किया, केवल दो उच्च जाति के कर्मचारियों के नाम भेजे जिससे उनका विनियमितिकरण हो गया तथा वाल्मीकि समाज के किसी भी कर्मचारी के नाम नहीं भेजे गये। जो न्यायसंगत नहीं है। इस तरह की अनेको घटनायें घट चुकी है, प्रशासन दलित वर्ग विरोधी मानसिकता का निरंतर प्रदर्शन एंव प्रस्तुतीकरण करते हुये सामाजिक रूप रूप से अपमान जनक कार्य व्यवहार प्रस्तुत कर रहा है जो कि वहुत ही गलत, निदंनीय और अलोकतांत्रिक है। अतः इस दिशा में शीघ्र ही प्रशासन को अपने कार्य व्यवहार में परिवर्तन लाते हुये समानता की भावना व्यक्त करना जनहित में सराहनीय कार्य होगा।
संघ के पास सप्रमाण अनेकों गम्भीर जांच योग्य उदाहरण हैं, जिनमें एक पक्षीय कार्यवाही करना प्रमाणित हो रहा है। संघ का निवेदन है कि दोषी तंत्र के विरूद्ध जांच कराकर कठोर कार्यवाही करना उचित और न्यायसंगत होगा। बैठक में सर्व श्री सुभाष माते, प्रीतम कडेरे, सुरेश ठेकेदार, ओमप्रकाश बडे, राजेश हवलदार कैलाश जयमाई, कुलदीप पहलवान, रवी पवार, नरेश डागौर, जितेन्द्र आगवान, नवलकिशोर प्याल , कपिल राय बग्गन, नीलेश करौसिया, रवि खरारे, कुन्दन गांचले, महेश कंजरया, मनोज सरदार, जीतू कंजरया, प्रमोद पहलवान, मोहन उर्फ वोरा, सियाशरन दवोईया, वीरेन्द्र दवोईया, हरिशचन्द्र कंजरया, आदि उपस्थित रहे। संचालन प्रकाश चौधरी ने किया। अंत में आभार रामजीसरन करौसिया ने व्यक्त किया। बैठक के बाद सभी ने परस्पर होली का तिलक लगाकर शुभकामनायें भेट कीं।