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वर्दी पहनकर कर रहे थे खाना की एडवांस बुकिंग, झांसी में पकड़े गए 

झांसी। गरीब रथ एक्सप्रेस में वर्दीधारी अवैध वेंडर्स की कारगुजारी से लगभग सौ यात्रियों के रुपए भी गए और उन्हें 3 सौ किमी भूखे यात्रा करना पड़ा ब्याज में ! रेलवे की (अ)व्यवस्था से परेशान यात्रियों को फिर से रुपए खर्च कर भोपाल में भूख शांत करना पड़ी।

झांसी में आरपीएफ ने अवैध तरीके से गरीब रथ एक्सप्रेस में चलाई जा रही ट्रेन साइड वेडिंग पकड़ी है। इसमें काम कर रहे सभी वेंडर बिना किसी परमिशन के ट्रेन में खानपान बेच रहे थे। साथ ही उनके मैनेजर के पास भी कोई अधिकार पत्र नहीं था। यहां ट्रेन के 100 यात्री रात का खाना आने का इंतजार करते रहे लेकिन, वेंडर झांसी में पकड़े जाने के चलते ट्रेन से उतार लिए गए थे। ऐसे में यात्रियों को भोपाल तक भूखे ही रहना पड़ा। आरपीएफ ने अवैध वेंडरों को यहां रेलवे कोर्ट में पेश किया, जहां कोर्ट ने सभी पर जुर्माना लगाकर उन्हें जाने दिया।

वेंडर्स ने 100 यात्रियों से लिया था खाने का पैसा

गरीब रथ एक्सप्रेस में पेंट्रीकार कोच नहीं लगाया गया है। इसी के चलते इस ट्रेन में साइड वेडिंग का ठेका दिया गया है। लेकिन ठेका लेने के बाद कंपनी ने वेंडरों को रेलवे से यह अधिकार नहीं दिलाया कि वह यहां खानपान बेच सकें। मैनेजर ने रेलवे द्वारा जारी मेडिकल व परिचय पत्र के बिना अनधिकृत रूप से ट्रेन में वेडिंग शुरू करवा दी। ट्रेन जब ग्वालियर से आगे बढ़ी तो वेंडरों ने 100 से अधिक यात्रियों से खाने का पैसा ले लिया। यहां यात्रियों को यह पता था कि झांसी आने पर उन्हें खाना मिल जाएगा। लेकिन ट्रेन झांसी आने के बाद भोपाल के लिए रवाना भी हो गई लेकिन, उन्हें खाना नहीं मिला।

दरअसल, सोमवार को हजरत निजामुद्दीन से चल कर चेन्नई जा रही 12621 मद्रास गरीब रथ एक्सप्रेस रात 9 बजे झांसी की ओर चली आ रही थी तभी उसमें चेकिंग के दौरान आरपीएफ की डिटेक्टिव विंग के अरुण राठौर ने कुछ युवकों को वर्दी में वेडिंग करते देख कर जब उनसे मेडिकल और रेलवे द्वारा जारी पहचान पत्र मांगा तो वह नहीं दिखा सके। इसके बाद अरुण ने अपने अधिकारियों को जानकारी दी तो झांसी स्टेशन पर कथित 8 वेंडर और उनके एक मैनेजर को ट्रेन से उतार लिया गया। मैनेजर ने आरपीएफ को कान्ट्रेक्ट लैटर दिखाया, किंतु वह मेडिकल और रेलवे द्वारा जारी पहचान पत्र नहीं बता पाया। मैनेजर को उम्मीद थी कि इसी कान्ट्रेक्ट लैटर पर ही मनमर्जी से वेंडर्स चलाता रहेगा।

इस स्थिति के चलते ट्रेन के अंदर यात्रियों को खानपान उपलब्ध कराने के लिए कोई भी नहीं बचा। इसकी जानकारी खाना बुक कराने वाले यात्रियों को तब हुई जब ट्रेन ने झांसी स्टेशन छोड़ दिया और उन्हें खाना नहीं मिला। यात्रियों को जब पता चला कि जिन वेंडर्स ने खाना बुक किया था वह अवैध थे और झांसी स्टेशन पर पकड़ कर उतार लिए गए हैं तो उन्होंने माथा पीट लिया क्योंकि भूख से उनका बुरा हाल था और ट्रेन के भोपाल स्टेशन पर रुकने पर ही खाना मिलता। शिकार बने यात्री रेलवे की इस (अ)व्यवस्था को कोसते रहे।

ठेका लिया पर रेलवे से मेडिकल व पहचान पत्र बनवाए ही नहीं

दरअसल, राठौर सर्विस नाम की फर्म ने आईआरसीटीसी से मद्रास गरीब रथ एक्सप्रेस में निजामुद्दीन से चैन्नई तक का ट्रेन साइड वेडिंग का ठेका लिया है। इस फर्म को यह ठेका 1 जनवरी से 30 अप्रैल 2025 तक तीन माह के लिए 13 ट्रिप का दिया गया है। फर्म द्वारा खान-पान सेवा शुरू करने से पहले नियमता रेल प्रशासन से वेंडरों का मेडिकल और पहचान पत्र जारी करवा कर काम शुरू करना था, किंतु ऐसा न कर मात्र कान्टैक्ट लैटर पर ही वेडिंग शुरू कर दी, जो रेलवे के नियमानुसार अवैध वेडिंग मानी जाती है। पकड़े जाने पर इन पर कार्रवाई की जाती है। यह सब अवैध कारोबार मद्रास गरीब रथ में चलता रहा और रेलवे की जिम्मेदार एजेंसी ने ध्यान नहीं दिया, किंतु आरपीएफ की डिटेक्टिव विंग की नज़रों से नहीं बच पाए।

न्यायालय ने 30 हजार का जुर्माना वसूल कर छोड़ा 

आरपीएफ ने झांसी में पकड़ी अवैध ट्रेन साइड वेडिंग के मैनेजर और वेंडरों को कार्रवाई करते हुए रेलवे न्यायालय में पेश किया, जहां कोर्ट ने उन पर औसतन प्रति व्यक्ति 3500 रुपए जुर्माना लगाया है। जुर्माना अदा करने के बाद कोर्ट ने सभी को छोड़ दिया।