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 एलटीटी से झांसी तक सभी स्टापेज पर ट्रेन रुक रुक कर चलती रही बालक नहीं उतरा ?

झांसी। 20103 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के एसी कोच में भीख मांगने के चक्कर में एलटीटी में खानाबदोश परिवार का 5 वर्षीय बच्चा सवार तो हो गया, किंतु फिर नहीं उतर पाया और टीटीई के हत्थे चढ़ गया। उसे झांसी स्टेशन पर उतार कर चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया तब उसकी हकीकत उजागर हुई। अब चाइल्ड लाइन उसे बाल सुधार गृह भेजने की कवायद में जुटी है।

दरअसल, 20103 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के एसी कोच में चैकिंग स्टाफ को मिले भिखारी से दिखने वाला लगभग 5 वर्षीय बच्चा मिला और उसने जो कहानी सुनाई उसमें झोल निकला। उसके अनुसार वह स्कूल से वापस घर लौटा तो मां नहीं थी और वह उसकी तलाश में ट्रेन में सवार हो गया तभी ट्रेन चल पड़ी। अब यह सोचने वाली बात है कि बच्चा ट्रेन के चलने के बाद एलटीटी पर उतर नहीं पाया तो फिर उसके बाद बाद के उन स्टेशन पर क्यों नहीं उतरा जहां जहां ट्रेन के स्टापेज हैं। छिपते छिपाते यात्रियों से भीख मांग कर कोच में मौजूद इस नंगे पांव बालक को झांसी के टीटीई प्रदीप कुमार त्रिपाठी को सोमवार रात मिला तो उसकी सूचना कंट्रोल रूम को दी। उसे रात 10.10 बजे बजे झांसी स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 4 पर उतारा गया।

आन ड्यूटी डिप्टी एसएस एस के नरवरिया इस लावारिस बालक को लेकर अपने कार्यालय में ले आए और आरपीएफ की मौजूदगी में चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। बच्चे की कहानी नंबर एक – मुंबई से झांसी पहुंचे बच्चे ने बताया कि वह मुंबई के ठाणे का रहने वाला है। उसकी मां का नाम सक्को और पिता का नाम रोहित है। उसका एक बड़ा भाई भी है, जो काम करने जाता है। बोला कि जब वह स्कूल से घर आया तो मां घर में नहीं मिली। पिता काम पर चले गए थे। उसे मां की याद आ रही थी, इसलिए वह उसे ढूंढने के लिए ट्रेन में बैठ गया था, लेकिन ट्रेन चलने लगी। उसे ये नहीं मालूम कि कहां जाना है।

बच्चे की कहानी नंबर दो बच्चे ने चाइल्ड लाइन को पूछताछ में जो बताया वह पहली स्टोरी से अलग है। उसने स्वयं को प्रतापगढ़ गोरखपुर के खानाबदोश परिवार का बताया। उसका कहना है कि उसका परिवार ट्रेन/स्टेशनों पर भीख मांगता है। उसे यह नहीं पता कि उसका घर कहां, परिवार के पास मोबाइल फोन का नंबर क्या है, स्कूल कौन सा है। अब चाइल्ड लाइन उसका मेडिकल परीक्षण करा कर बाल सुधार गृह भेजने की कवायद में जुटी हुई है क्योंकि उससे ऐसा कुछ नहीं मिला जिसके सहारे वह उसके माता-पिता से सम्पर्क कर सके।अच्छा हो कि श्रेय लूटने की अपेक्षा बच्चे की सच्चाई उजागर कर सामने लाया जाऐ।