झांसी। ग्वालियर रोड सिविल लाइन स्थित श्री कुंजबिहारी मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य राधामोहन दास महाराज ने कहा कि जीवन में प्रेम बहुत जरूरी है क्योंकि प्रेमपूर्ण हृदय ही परमात्मा के दर्शन अथवा उसकी प्राप्ति की अनुभूति कर सकता हैं।परमात्मा भक्तों से सांसारिक वस्तुयें नहीं चाहते वह तो सिर्फ थोडा सा प्रेम भक्त के हृदय में देखकर उस पर कृपया करते हैं।

गिरिराज गोवर्धन का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने सात वर्ष की आयु में अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण कर इंद्र के कोप से न सिर्फ बृजवासियों को बचाया बल्कि इंद्र के अहंकार का भी दमन किया। उन्होंने सुंदर भजन सुनाया “नख पै गिरवर लीन्हों धार कन्हैया मेरौ बारो। इससे पूर्व मां यशोदा के ऊखल बंधन का प्रसंग सुनाते हुए महंत ने कहा कि प्रेम के सिवाय भगवान को बांधने में कोई भी शक्ति सफल नहीं हो सकती। प्रेम की खातिर ही ताहि अहीर की छोकरियां छछिया भर छांछ कौ नाच नचावे।

जीवन में कर्म को प्रधान बताये हुए कथा व्यास ने कहा कि जब तक जीवन है कर्म पीछा नहीं छोडते, कर्म तो करना ही पड़ेगा और इसी कर्म के अनुसार हमें हमारे कर्मों का अच्छा-बुरा फल परमात्मा देता है, इसलिए हम कर्मों से विमुख तो हो नहीं सकते किंतु अपने कर्मों को हम सुधार तो सकते हैं।वे कहते है कि जिंदगी ऐसे जिओ कि खुश रहो, आबाद रहो, तुम रहो न रहो,सारे जहां को याद रहो।

उन्होंने इमलार्जुन, कालिया नाग नाथन आदि भगवान कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का विस्तार से वर्णन करते हुए सुंदर भजन सुनाये। ,”छोटी छोटी गईयां, छोटे छोटे लाल छोटो सो मैरो मदन गुपाल”।

प्रारंभ में यज्ञाचार्य रामलखन उपाध्याय ने व्यास पीठ का पूजन कराया तदुपरांत मुख्य यजमान शारदा श्यामदास गंधी ने महाराजश्री का माल्यार्पण कर श्रीमद भागवत पुराण की आरती उतारी। अंत में व्यवस्थापक परमानंद दास ने सभी का आभार व्यक्त किया।