मात्र 6 घंटे में 1,28,000 लोगों को स्वच्छता, पर्यावरण, जल संरक्षण व कचरा प्रबंधन अभियान से जोड़ा

चार अंतरराष्ट्रीय विश्व रिकॉर्ड एजेंसियों ने अपनी बुक में नाम किया दर्ज

झांसी। झांसी की ऐतिहासिक धरती पर एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। स्वच्छता एवं पर्यावरण जन जागरूकता के क्षेत्र में डा. जितेन्द्र कुमार तिवारी, केंद्रीय अध्यक्ष, जिला जनकल्याण महासमिति, झांसी एवं रानी झांसी फाउंडेशन, झांसी ने ऐसा विश्व कीर्तिमान बनाया है, जिसे न केवल देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गौरवपूर्वक स्वीकार किया गया है।

15 अप्रैल 2025 को झांसी में आयोजित हस्ताक्षर अभियान में मात्र 6 घंटे में 1,28,000 नागरिकों ने स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और कचरा प्रबंधन के पक्ष में हस्ताक्षर कर एक नया इतिहास रच दिया। इस रिकॉर्ड को अब आधिकारिक रूप से निम्नलिखित चार अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा मान्यता प्राप्त हो चुकी है:
🔹 एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
🔹 यूएसए बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
🔹 यूके बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
🔹 लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
इन सभी संस्थाओं ने डा. तिवारी के नेतृत्व में झांसी में स्थापित इस कीर्तिमान को अपनी रिकॉर्ड बुक में स्थान देते हुए प्रमाण पत्र जारी किए हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के उपलक्ष्य में आज राजकीय संग्रहालय सभागार, झांसी में आयोजित “विश्व कीर्तिमान सम्मान समारोह” में सम्मानित अतिथियों द्वारा मंच पर इन प्रमाण पत्रों को डॉ. तिवारी को प्रदान किया गया।

मुख्य अतिथि सांसद अनुराग शर्मा ने कहा – यह कीर्तिमान केवल आंकड़ा नहीं, एक जनभावना है। झांसी के नागरिकों की भागीदारी और डॉ. तिवारी की संकल्प शक्ति ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि समाज जाग जाए तो असंभव कुछ भी नहीं।”

विशिष्ट अतिथि डा बाबूलाल तिवारी शिक्षक विधायक, महापौर बिहारी लाल आर्य ने अपने संबोधन में कहा –डॉ. जितेन्द्र तिवारी ने स्वच्छ भारत मिशन को जन आंदोलन का रूप दिया है। यह रिकॉर्ड आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि एक विचार, जब जन-मन से जुड़ता है, तो वह इतिहास बन जाता है।”

विशिष्ट अतिथि आचार्य पं. हरिओम पाठक एवं बुंदेलखंड ब्राह्मण विद्वत परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष बृज किशोर हरभजन भार्गव ने कहा – “यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं, यह जन-चेतना का परिणाम है। समाज यदि सही दिशा में सोचने लगे, तो परिवर्तन अवश्यंभावी है। झांसी ने आज वह परिवर्तन दिखा दिया।”

“इस आयोजन ने सिद्ध कर दिया कि बुंदेलखंड अब सिर्फ इतिहास नहीं, उदाहरण बन रहा है। यह नेतृत्व, विचार और एकजुटता की विजय है।” डा. जितेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा –“यह सम्मान झांसी की जनता का है। मैं केवल माध्यम हूँ। यह रिकॉर्ड यह सिद्ध करता है कि यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो समाज का सहयोग अद्भुत चमत्कार कर सकता है।” डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि आज कचरा प्रबंधन और प्रतिबंधित पॉलिथिन प्लास्टिक हमारी सबसे बड़ी सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौती बन चुकी है। भारत प्रतिदिन लगभग 1.6 लाख टन ठोस कचरा पैदा करता है, जिसमें से केवल कुछ प्रतिशत का ही वैज्ञानिक निपटान हो पाता है। शेष कचरा नदियों, नालों और खुले मैदानों में पहुँच कर जल और वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि इस संकट का सबसे भयावह रूप है पॉलिथिन प्लास्टिक, जो सैकड़ों वर्षों तक नष्ट नहीं होती। एक साधारण पॉलिथिन बैग 400–500 वर्ष तक धरती पर बना रहता है और पीढ़ियों तक पर्यावरण को विषाक्त करता है। आँकड़े बताते हैं कि भारत हर वर्ष 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा खुले में जला दिया जाता है या जलस्रोतों में पहुँच जाता है। यह न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है बल्कि समुद्री जीवन को भी नष्ट कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो वर्ष 2050 तक समुद्रों में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा।

डॉ. तिवारी ने जोर दिया कि अब समय आ गया है कि हम कचरे को समस्या नहीं बल्कि संसाधन मानें। गीले और सूखे कचरे का पृथक्करण, पॉलिथिन का पूर्ण बहिष्कार, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण जैसी आदतें हमें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनानी होंगी। उन्होंने कहा – “धरती हमारी माँ है और कचरा उसकी साँसों पर रखा पत्थर। इस पत्थर को हटाना हमारी जिम्मेदारी है।”

इस अवसर पर वर्ल्ड रिकॉर्ड की प्रमाण पत्र प्रदर्शनी, फोटो गैलरी, प्रतिभागियों का सम्मान, और जन संवाद का आयोजन भी किया गया। मंच पर “1,28,000 स्वच्छता संकल्पों की गूंज” ने हर उपस्थित जन को गौरव से भर दिया। आभार व्यक्त रानी झांसी फाऊंडेशन की केंद्रीय अध्यक्ष श्रीमती निर्मल तिवार एवं सतेंद्र कुमार तिवारी ने किया।

यह हुये सम्मानित
कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने वाले प्रतिभागियों को जिला जनकल्याण महासमिति की ओर से सम्मानित किया गया। सम्मानित सहयोगियों में प्रमुख रूप से – सतेंद्र कुमार तिवारी, डॉ. लवीन मसीह, प्रतिमा ओझा, स्प्रहा श्रीवास्तव, प्रतिभा शर्मा, बी.पी. नायक, अजय तिवारी, रविन्द्र कुमार रावत, अर्चना गुप्ता, ममता सिंह, जे.पी. सिंह, मंयक श्रीवास्तव (सभासद), प्रभात यादव, संतोष दुबे, डॉ. प्रवीण गुप्ता, साध्वी नीलम तिवारी, एड. शिरोमणी शर्मा, रजनी वर्मा, पृथ्वीराज सिंह, अनुपम गुप्ता, ओम प्रकाश, सुषमा सिंह, आर. एन. शर्मा, कैलाश नारायण मालवीय, पंकज झा, विशाल गुप्ता, हरीशंकर शर्मा, सुबोध कुमार शर्मा, रचना शर्मा, आलोक शांडिल्य, संगीता जोशी, दीपा तिवारी, विनोद कुमार शर्मा, धीरेन्द्र शर्मा, डॉ. मनीष मिश्रा, मनीष साहू, अशोक बिलगैंया, धर्मेन्द्र कारलेकर, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. विज्ञान सिंह, कुसुम साहू, अंजुलता गुप्ता, कविता मिश्रा, प्रिया शर्मा, पं. संजय दुबे, प्रीतिका बुधोलिया, पूजा गुप्ता, मोतीलाल दुबे, राधा नीलम गुप्ता, मंजु अंजु शर्मा, आर. एन. उपाध्याय, सौरभ जेजुरकर, प्रीति रायकवार, शारदा शर्मा राजू, अनिल ठेकेदार, हरिओम मिश्रा (सभासद), आशीष मिश्रा, राजकुमारी त्रिपाठी, नीतू सिंह माहौर, हरप्रीत सिंह, मीना दुबे, पूजा तिवारी , सूर्या निषाद, अनीता सिंह, संयोगिता नामदेव, डोली पचोरी, पुष्पा अनुरागी, शामिल रहे। इनके अतिरिक्त भी अनेक सहयोगियों ने इस विश्व कीर्तिमान को सफल बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया।